राजस्थान का सियासी संघर्ष अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। सियासी स्थिति की गंभीरता का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि कल रात 10 बजे मुख्यंमत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए कैबिनेट बैठक तक बुलाई। यही नहीं, इन कांग्रेसी नेताओं का राजभवन में धरना भी जारी रहा..मगर राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसत्र सत्र बुलाने की इजाजत नहीं दी है। उनका कहना है कि संविधान सर्वोपरि है। हम संविधान और उसकी मर्यादा के खिलाफ नहीं जा सकते हैं। फिलहाल यह पूरा मामला कोर्ट में भी लंबित है, लिहाजा इस मसले को लेकर कानूनविदों से भी राय लेनी होगी..उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) को इस बात का खौफ सता रहा है कि अगर फ्लोर टेस्ट कराने में विलंब किया और दो-तीन विधायक इधर-उधर खिसक गए तो हमारी सीएम कुर्सी भी हिल सकती है, लिहाजा वो जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराकर अपनी कुर्सी को संवैधानिक मान्यताओं के आधार पर महफूज रखना चाहते हैं, मगर राज्यपाल कलराज मिश्र मानने को तैयार नहीं हैं।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आगामी सोमवार को विधानसभा सत्र बुलाने पर अड़े हुए हैं, लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र का मानना है कि महामारी और संवैधानिक सुझावों के बाद ही हम किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं, लिहाजा हमें स्थायी तौर पर किसी भी नतीजे पर पहुंचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए, मगर अशोक गहलोत विधानसभा सत्र बुलाने के लिए झटपटा रहे हैं। उधर, राज्यपाल ने भी साफ कर दिया है कि फिलहाल तो यह पूरा मामला कोर्ट में है। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस विधायकों से वार्ता भी की। उन्हें इस बात का आश्वासन भी दिया कि फिलवक्त यह पूरा मामल कोर्ट में हैं, कानूनविदों की राय के बाद ही इस पूरे मामले पर कोई फैसला लिया जा सकता है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा– यथास्थिति बनाए रखें
इसके साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा ने भी शुक्रवार की सुनवाई में सचिन पायलट गुट को बड़ी राहत दी है। उन्होंने फिलहाल इस पूरे मामले में यथास्थिति बनाए रखने की अपील की है। कोर्ट ने यह सुनवाई सचिन पायलट गुट द्वारा दाखिल किए गए याचिका पर हुई थी। मालूम हो कि गत 16 जुलाई को विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने उन्हें नोटिस जारी किया था, जिस पर विरोध जताते हुए सचिन पायलट गुट ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।