ट्रंप सरकार द्वारा अमरीका से निकाले गए भारतीयों में एक व्यक्ति टांडा के दारापुर का तथा दूसरा गांव टाहली का रहने वाला है। परिवार से मिली जानकारी के अनुसार गांव टाहली के रेशम सिंह का बेटा हरविंदर सिंह पिछले महीने अवैध रूप से सीमा पार कर अमरीका में घुस गया था और पकड़े जाने के बाद से ही कैंप में था।
हरविंदर की पत्नी कुलजिंदर कौर ने बताया कि वह 8 महीने के लिए घर से अमरीका चला गया था । कुलजिंदर कौर ने बताया कि 42 लाख रुपए लेने के बावजूद गांव के ही एक एजैंट ने उन्हें कानूनी तरीके से अमरीका भेजने की बजाय धोखे से उसके पति को डौकी के जरिए अमरीका भेज दिया। उसके पति ने 15 जनवरी को उसे संदेश भेजकर बताया कि वह अमरीकी सीमा पार कर चुका है। इसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका और आज उन्हें उनके स्वदेश लौटने की सूचना मिली। उन्होंने कहा कि एजैंट ने उनके साथ धोखाधड़ी की है और उन्हें ब्याज पर रकम लेकर एजैंट को दी थी। वापस भेजे गए लोगों ने बताया कि उनके हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरें डाली गईं थीं। अमृतसर एयरपोर्ट पर आकर ही इन्हें खोला गया। इन बातों को सुनकर वहां मौजूद हर किसी कि आंखें नम थी।
दूसरा व्यक्ति सुखपाल पुत्र प्रेम पाल निवासी दारापुर टांडा है, जो 8 महीने पहले वर्क परमिट पर इटली गया था और बाद में अमरीका में प्रवेश करते समय पकड़ा गया था। सुखपाल के पिता ने कहा कि उनके पास सुखपाल के अमरीका से डिपोर्ट होने के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि सुखपाल पिछले साल अक्तूबर में वर्क परमिट पर इटली गया था। आखिरी बार मैंने उनसे 22 दिन पहले बात की थी। उसने इस बारे में जानकारी साझा नहीं की है कि वे वहां से अमरीका कैसे पंहुचा। निर्वासित होने के बाद अमृतसर पहुंचे दोनों व्यक्तियों के परिवार के सदस्य उनके घर आने का इंतजार कर रहे हैं।