Breaking News

यूपी: वन विभाग करेगा घड़ियाल के अंडों की रखवाली, लगाई जाएगी लोहे की जाली

घड़ियालों का प्रजनन काल शुरू हो चुका है। मादा मार्च-अप्रैल में अंडे देंगी। इनकी रखवाली करने के लिए वन विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है।

आगरा के बाह में घड़ियालों का प्रजनन काल शुरू हो गया है। मार्च-अप्रैल में मादा चंबल की बालू में घोंसले बनाकर अंडे देगी। जून में हैचिंग होगी। अंडों की सुरक्षा के लिए वन विभाग लोहे की जाली लगाएगा। विभाग ने घड़ियालों की निगरानी शुरू कर दी है।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में होकर बहने वाली चंबल नदी में लुप्तप्राय घड़ियालों का वर्ष 1981 से संरक्षण हो रहा है। इसके सुखद परिणाम भी दिख रहे हैं। चंबल में घड़ियालों की संख्या 2,534 हो गई है। इनमें से 1,007 बाह रेंज में हैं। बाह के रेंजर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि जनवरी और फरवरी घड़ियालों का प्रजनन काल होता है। मार्च-अप्रैल में मादा नदी किनारे या टापू की बालू पर घोंसले में 35 से 60 अंडे देंगी।

उन्होंने बताया कि प्रजनन काल में ही मादा बालू पर घोंसले के लिए जमीन तलाशने लगती हैं। 60 से 80 दिनों बाद अंडे फूटते हैं। जून में हैचिंग से घड़ियालों के बच्चे जन्म लेंगे। बताया कि घड़ियालों पर नजर रखी जा रही है, जिससे उनकी नेस्टिंग को रिकॉर्ड किया जा सके।

अंडे देने के बाद वन विभाग जीपीएस लोकेशन के साथ घोंसले पर सुरक्षा के लिहाज से लोहे की जाली लगाएगा। जिससे अंडों को जंगली जानवरों से नष्ट करने का खतरा न रहे। हैचिंग का समय आते ही जाली हटा दी जाती है।

रात में घोंसले की पहरेदारी करती हैं मादा
आमतौर पर मादा घड़ियाल रात में नेस्टिंग करती हैं। रेंजर ने बताया कि रात में मादा घोंसले में अंडों की रखवाली करती हैं। उनको बार-बार घोंसले के पास पहुंचते देखा गया हैहैं। दिन में घोंसले के पास नदी के पानी में रहती हैं। यह सिलसिला अंडे के फूटने तक चलता है।