राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक (RSS) मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का हिंदू समाज को लेकर बयान चर्चा में है. अब देश के दो बड़े संतों का रिएक्शन आया है. तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, मैं मोहन भागवत के बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हूं. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मोहन भागवत हमारे अनुशासक नहीं हैं. बल्कि हम उनके अनुशासक हैं।
वहीं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान को गलत बताया है जिसमे उन्होंने कहा था की हर जगह मंदिर ढूंढ़ने की इजाजत नहीं दी सकती है. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, अतीत में हिन्दू समाज के साथ बहुत अत्याचर हुआ है और हिन्दुओं के धर्मस्थलों को तहस नहस किया गया है. इसलिए अगर अब हिन्दू समाज अपने मंदिरो का पुनः उद्धार कर उन्हें पुनः संरक्षित करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है. अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, अतीत मे आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए मंदिरों की सूची बनाकर उनका एएसआई से सर्वेक्षण कराया जाना चाहिये.
डॉक्टर भीमराव अंबेडर पर सियासी संग्राम पर अविमुक्तेश्वरानंद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गृहमंत्री अमित शाह के बयान की अलोचना की है. उन्होंने कहा कि संसद में धक्का मुक्की प्रकरण की वजह अमित शाह का संसद में अंबेडकर पर बयान दिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि, इन्हें अंबेडकर के नाम से तकलीफ होती है, उन्होंने कहा कि देश में अंबेडकर की विचारधारा के लोग अधिक हैं. इसलिए हर कोई अंबेडकर के नाम का अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल कर रहा है.