प्रवर्तन निदेशालय (ED) लगातार चर्चा में बनी हुई रहती है. अपने रेड से लेकर देश के बड़े-बड़े नेताओं को गिरफ्तार करने तक के ED सुर्खियों में रहती है. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तक की गिरफ्तारी के मामले में ED चर्चा में रही. लेकिन कई बड़े नेताओं के जमानत के बाद ED बैकफुट पर नजर आ रही है. इस बात पर मुहर ED ने अपने नियम बदल कर लगा दी.
रिपोर्ट के अनुसार ED ने अपने कुछ हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के अदालत में पहुंचने के बाद यह निर्णय लिया है कि वह केवल “आपराधिक साजिश” को ही “पूर्वानुमानित अपराध” के रूप में नहीं मानेगा. जिसके आधार पर वह ऐसे मामले दर्ज करता है, इसमें उस साजिश से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत अपराध को भी शामिल किया जाना चाहिए.
सूत्रों के अनुसार, इस निर्णय के बारे में निर्देश ED निदेशक राहुल नवीन ने एजेंसी के अधिकारियों को “पारित” कर दिए हैं. PMLA अनुसूची में करीब 150 प्राथमिक अपराध शामिल हैं, जिनमें भ्रष्टाचार से लेकर टैक्स चोरी और यहां तक कि वन्य जीव अधिनियम का उल्लंघन भी शामिल है. यह नया कदम ऐसे मामलों में हाल ही में मिली “असफलताओं” के बाद उठाया गया है, जिनमें से दो को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था. एक कांग्रेस नेता और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के खिलाफ, और दूसरा एक रिटायर आईएएस अधिकारी के खिलाफ, जिन्होंने कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के अधीन काम किया था.
रिपोर्ट के अनुसार यहां “पूर्ववर्ती अपराध” का मतलब किसी अन्य एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिक FIR में उल्लेख किए गए आपराधिक गतिविधि से है, जिस पर ED का मामला आधारित है. PMLA के तहत, ED केवल किसी जांच एजेंसी, जैसे सीबीआई, राज्य पुलिस या कुछ मामलों में, यहां तक कि आयकर विभाग द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर ही मामला दर्ज कर सकता है.
ED के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “मामलों पर कड़ी मेहनत करने के बाद अदालत में असफलता का सामना करने का कोई मतलब नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आईपीसी की धारा 120बी को पीएमएलए के तहत एक अलग अपराध के रूप में नहीं माना जा सकता है. सर्वोच्च न्यायालय जो कहता है, वही कानून है. इसलिए, इस आशय के निर्देश पारित किए गए हैं.” मालूम हो कि पिछले कुछ सालों में, ED ने कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों को आगे बढ़ाया है, जहां 120बी को छोड़कर कोई अन्य अपराध नहीं था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट सहित अदालतों ने बाद में फैसला सुनाया कि धारा 120बी को एकमात्र “अपराध” के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है, जिसमें “आपराधिक साजिश” से संबंधित अपराध भी होना चाहिए जो पीएमएलए के दायरे में आता है.