कब्ज(Constipation) एक ऐसा समस्या है जिसका सामना हर उम्र के व्यक्ति को करना पड़ता है. कब्ज की समस्या से निपटने के लिए लोग कई तरह के घरेलू उपाय अपनाते हैं लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं मिल पाता, लेकिन हाल ही में एक एक्सपर्ट ने एक ऐसी चीज के बारे में बताया है जिससे आपकी कब्ज की समस्या चुटकियों में ठीक हो सकती है. कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए बहुत से टिप्स और ट्रिक्स(Tips and Tricks) हैं. जिसमें कान की मसाज करना और हथेलियों को रगड़ना शामिल है.
कब्ज से राहत पाने के लिए सोशल मीडिया पर डॉ.कैली पीटरसन ने एक वीडियो शेयर किया है. सोशल मीडिया पर कैली का अकाउंट ‘the belly whisperer’ के नाम से है. कैली का कहना है कि कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आपको टॉयलेट में अपने साथ एक चीज लेकर जानी होगी. इससे आपको काफी आराम मिलेगा. डॉ. कैली पीटरसन को पेल्विक, विसरल और ऑर्थोपेडिक फिजिकल थेरेपी में विशेष योग्यता प्राप्त है. कैली का कहना है कि जब भी उनके पास मरीज कब्ज की समस्या को लेकर आते हैं तो वह उन्हें टॉयलेट में स्ट्रॉ का इस्तेमाल करने की सलाह देती हैं.
कैली ने बताया कि जब भी आप मल त्यागने की कोशिश करते हैं तो आपको स्ट्रॉ को लेकर बाहर की तरफ फूंक मारनी चाहिए, इससे आपको काफी मदद मिलेगी. कैली ने बताया, कब्ज की समस्या आमतौर पर तब होती है जब आप खाने में फाइबर का सेवन नहीं करते या कम मात्रा में लिक्विड चीजों का सेवन करते हैं. लेकिन कई बार दवाइयों की वजह से भी कब्ज की समस्या होती है. वहीं जिन लोगों की पेल्विक फ्लोर मसल्स (pelvic floor muscles) कमजोर होती है उन्हें भी कब्ज की दिक्कत होती है.
कब्ज के लिए ये कारण भी होते हैं जिम्मेदार
– लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना
– तनावग्रस्त या चिंतित रहना
– टॉयलेट जाने की फीलिंग्स को इग्नोर करना
डॉ पीटरसन ने समझाया कि स्ट्रॉ का इस्तेमाल करने से आपकी सांस को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है, जिससे आपके लिए मल त्यागना आसान हो जाता है.
अपने इंस्टाग्राम पेज पर वीडियो शेयर कर उन्होंने बताया, जब भी आप मल त्यागने के लिए टॉयलेट जाते हैं तो आपको एक स्ट्रॉ लेकर बाहर की तरफ फूंक मारनी है जैसे हम किसी मोमबत्ती को बुझाने के लिए करते हैं. इसके लिए आपको डायाफ्रामिक ब्रीदिंग(diaphragmatic breathing) की जरूरत पड़ेगी. इसे बैली ब्रीदिंग के नाम से भी जाना जाता है. इसमें डायाफ्राम और पेट से गहरी सांस ली जाती है. इसका मतलब यह है कि जब आप सांस लेते हैं, तो आप हर सांस के साथ डायाफ्राम को नीचे खींचते हैं – जिससे फेफड़ों को और भी अच्छी तरह से काम करने में मदद मिलती है.
डायाफ्रामिक ब्रीदिंग के जरिए सांस लेने और छोड़ने से पेट और पेल्विक फ्लोर मसल्स के बीच को-कॉन्ट्रैक्शन होता है जिससे रीढ़ की हड्डी में पड़ने वाले स्ट्रेस को कम किया जा सकता है.
डॉ. पीटरसन ने कहा कि आपको पहले अलग-अलग तरीकों से सांस छोड़ने की प्रेक्टिस करनी चाहिए. डॉ. पीटरसन ने यह भी कहा कि टॉयलेट सीट पर बैठने से पहले आप अपनी पीठ, बाजू, पेट और घुटनों के बल बैठकर इसकी प्रेक्टिस करें.
डॉ. पीटरसन ने बताया कि इस उपाय के साथ-साथ डाइट में फाइबरयुक्त चीजों को शामिल करने से भी कब्ज की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. बच्चों को भी इस स्ट्रॉ ट्रिक से मल त्यागने में मदद मिल सकती है.