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एक हाथ कोट में डालकर अपना चित्र क्यों बनवाते थे लोग? गुजरे जमाने का बड़ा राज

अगर आप इतिहास के छात्र रहे होंगे, या कभी किसी म्यूजियम में गए होंगे, या फिर 18वीं-19वीं सदी के महान लोगों के चित्र देखे होंगे, तो एक बात आपने जरूर गौर की होगी, वो ये कि उस दौर के अधिकतर पुरुषों के पोर्ट्रेट में उनका एक हाथ उनके कोट के अंदर होता था और दूसरा बाहर. इस फेमस पोज में नेपोलियन से लेकर अन्य कई चर्चित लोगों की मूर्तियां नजर आई हैं. तो सवाल ये उठता है कि आखिर गुजरे जमाने के लोग एक हाथ कोट (Hand in coat pose reason) में डालकर अपना चित्र क्यों बनवाते थे? ये उस दौर का एक बड़ा राज है, जिसकी वजह शायद ही किसी को पता होगी.

रीडर्स डायजेस्ट वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस के पूर्व राजा नेपोलियन बोनापार्ट से लेकर सोवियत यूनियन के पूर्व प्रधानमंत्री जोसफ स्टालिन तक की ऐसे फोटोज आपको इंटरनेट पर मिल जाएंगी जिसमें उनका एक हाथ शर्ट या उनके कोट (One hand in coat meaning) के अंदर है. दरअसल, ये एक किस्म की प्रथा थी जिसकी शुरुआत 1700 के आसपास मानी जाती है. टुडे आई फाउंड आउट वेबसाइट का संदर्भ लेते हुए वेबसाइट में बताया गया है कि प्राचीन ग्रीस में दोनों हाथों को दिखाते हुए बात करना अशिष्टता की निशानी थी.

प्राचीन ग्रीस से जुड़े हैं इस पोज के तार
इस वजह से छठी शताब्दी ईसा पूर्व के के महान वक्ता सोलोन आदि के चित्रों में उन्हें उनके लबादे के अंदर हाथ डालकर बोलते हुए दिखाया गया है. 17वीं, 18वीं और 19वीं सदी के चित्रकारों को चित्र बनाने के लिए और अपने सब्जेक्ट को पोज सुझाने के लिए प्राचीन काल के महान वक्ताओं का अंदाज पसंद आया. इस वजह से उन्हें मिसाल बनाकर इस दौर में भी लोगों ने उसी तरह पोज देना शुरू किया. उन्होंने एक हाथ को कोट के अंदर रख लिया, जिससे वो चित्र में ज्यादा बुद्धिजीवी नजर आएं.

सालों तक इसी पोज में चित्र बनवाते और फोटो खिंचवाते रहे लोग
19वीं सदी में जब फोटोग्राफी आ गई, तब भी ये ट्रेंड जारी रहा. अमेरिकी प्रेसिडेंट फ्रैंकलिन पीर्स से लेकर महान विचारक कार्ल मार्क्स तक ने इसी अंदाज में पोज दिया है. 1800 का अंत आते-आते इस पोज की पसंद भी कम होने लगी. जोसफ स्टालिन ने 1948 की तस्वीर में ऐसा ही पोज लिया, जिससे माना जा सकता है कि ये पोज उस वक्त भी चलन में था. हालांकि, जो कारण है, वो प्राचीन ग्रीस से जुड़ा है, जहां हाथ दिखाकर बातें करना अशिष्टता माना जाता था.