यूपी के मदरसों से एनसीईआरटी की किताबें गायब हो गई हैं। सूत्रों की मानें तो एनसीईआरटी की किताबों को अचानक बंद करने से पहले उच्चस्तरीय अनुमोदन भी नहीं लिया गया।
प्रदेश के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों का वितरण नहीं हो रहा है। इसका पाठ्यक्रम भी फिलहाल लागू नहीं है। किताबों के अचानक गायब होने पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओपी राजभर ने नाराजगी जताते हुए अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन करीब ढाई माह से अधिक समय बीतने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया गया है। सूत्रों की मानें तो एनसीईआरटी की किताबों को अचानक बंद करने से पहले उच्चस्तरीय अनुमोदन भी नहीं लिया गया।
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बीती 5 नवंबर को दिए गए फैसले में राज्य सरकार को मदरसा शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए कदम उठाने की स्वतंत्रता दी गई थी। करीब 20 दिन से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद विभाग ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। प्रदेश में वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद गठित प्रगतिवादी मदरसा बोर्ड ने 15 मई 2018 को अपनी बैठक में मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने का आदेश दिया था।
जिसका शासनादेश 30 मई 2018 को जारी हुआ था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सभी मान्यता प्राप्त और अनुदानित मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का आदेश दिया था। आदेश का पालन करते हुए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 3 साल तक तो किताबें वितरित कीं, लेकिन वर्ष 2023 में बिना उच्चस्तरीय अनुमोदन लिए इसे अचानक रोक दिया गया। इसका कोई ठोस जवाब भी नहीं दिया गया।
अफसर के दबाव में पीछे किए कदम
सूत्रों की मानें तो 18 जनवरी 2023 को मदरसा बोर्ड की बैठक में शासन के एक वरिष्ठ अफसर के दबाव में बेसिक शिक्षा की किताबें अनुदानित मदरसों में दिए जाने के लिए 2018 के फैसले को बदल दिया गया। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जिम्मेदारी संभालने के बाद मंत्री ओपी राजभर को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने मुख्यमंत्री के आदेश का पालन कराने के लिए 9 सितंबर 2024 को अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को लागू न करने के बारे में रिपोर्ट तलब कर ली।
बैठक में गिनाईं कठिनाईयां
मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. इफि्तखार अहमद जावेद की अध्यक्षता में 18 जनवरी 2023 को आयोजित बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग की तरह चरणबद्ध तरीके से एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने पर सहमति बनी थी। यह भी सामने आया था कि निदेशालय के माध्यम से किताबें उपलब्ध कराने में भी कठिनाई आ रही है। जिसके बाद बोर्ड ने अपने पुराने फैसले को पलटते हुए एनसीईआरटी की जगह बेसिक शिक्षा विभाग की किताबों को वितरित किए जाने की मंजूरी दे दी।
मुझे नहीं दिया गया कोई जवाब
सरकार की मंशा मदरसों में आधुनिक शिक्षा प्रदान करने की है। मेरे संज्ञान में आया था कि बिना मुख्यमंत्री की सहमति के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों का वितरण रोक दिया गया। मैंने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी थी। करीब ढाई माह से अधिक समय बीतने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला है।-ओमप्रकाश राजभर, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री