किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा 1200 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि की मांग को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे को लेकर साफ शब्दों में कहा है कि हरियाणा सरकार की तरह पंजाब सरकार भी अपने बजट से किसानों को प्रोत्साहन दे सकती है।
आप पार्टी के सांसद मलविंदर सिंह कंग ने बताया कि स्पेशल ग्रांट की डिमांड की थी, लेकिन भाजपा ने उसे रिजेक्ट कर दिया है। हमने देखा है कि केंद्र की भाजपा सरकार पंजाब का कोई भी मुद्दा हो, चाहे वे आरपीएफ, नेशनल हेल्थ मिशन, स्कूल एजुकेशन के फंड्स को लेकर बहुत सारी रुकावटें इन्होंने डाली। धान की लिफ्टिंग को लेकर भाजपा सरकार की तरफ से पंजाब के लिए डाले जा रहे हैं, वे निंदनीय है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का जो एंटी पंजाब रवैया है, उस रवैये को बरकरार रखते हुए 1200 करोड़ की डिमांड को भारत सरकार ने रिजेक्ट कर दिया है। एक तरफ कहते हैं कि वे किसानों के साथ हैं। लेकिन लोग कैसे विश्वास करें। एक-एक करके हर बार जब भी पंजाब के किसानों की मदद का मुद्दा आता है, केंद्र सरकार पीछे हट जाती है।
केंद्र ने कहा, यह बताना महत्वपूर्ण है कि हरियाणा सरकार अपने बजट से रेड जोन पंचायतों के लिए शून्य पराली जलाने की दिशा में 1,00,000 रुपए और येलो जोन पंचायतों को 50,000 रुपए का प्रोत्साहन दे रही है। इसके अलावा, ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना के तहत वैकल्पिक फसलों की ओर रुख करने के लिए प्रति एकड़ 7,000 रुपए और धान की सीधी बुवाई के लिए प्रति एकड़ 4,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। इसके साथ ही केंद्र ने अपने हलफनामे में बताया कि साल 2018-19 से 2024-25 तक पंजाब राज्य को 1681.45 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता दी गई है। राज्य में 1.46 लाख से अधिक मशीनें वितरित की गई हैं और 25,500 से अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर्स स्थापित किए गए हैं। इस वित्तीय वर्ष में पंजाब को आवंटित 300 करोड़ रुपए में से 150 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं और राज्य के पास 250 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध है।