जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के नतीजे आठ अक्टूबर को आने वाले हैं। इससे पहले तमाम एग्जिट पोल्स में यहां किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में निगाहें उन पांच विधायकों (MLA) पर रहेंगी, जिन्हें लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) नामांकित करते हैं। इन सभी को विधानसभा की पहली बैठक से ठीक पहले नामांकित किया जाएगा। चुने गए विधायकों की तरह से यह नामांकित विधायक भी बहुमत के समय वोटिंग में हिस्सा लेंगे। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 सीटों के लिए वोट डाले गए हैं। 5 नामांकित विधायकों के साथ यहां पर कुल सदस्य संख्या 95 हो जाएगी। बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम 48 विधायक होने चाहिए। लेकिन एग्जिट पोल के अनुमान में कोई भी पार्टी इस जादुई आंकड़े तक पहुंचती दिखाई नहीं दे रही है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में एलजी मनोज सिन्हा हैं, जिन्हें केंद्र सरकार ने नियुक्त किया है। ऐसे में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस को इस बात का डर सता रहा है कि वोटों के बंटवारे के वक्त वह अपने अधिकारों का इस्तेमाल भाजपा के पक्ष में कर सकते हैं। हालांकि भाजपा ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि विधायकों का नामांकन एलजी का अधिकार है। इस नामांकन प्रक्रिया का जिक्र जम्मू-कश्मीर रिऑर्गनाइजेशन ऐक्ट 2019 में है, जिसे बाद में 26 जुलाई 2023 को संशोधित किया गया।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा पुडुचेरी विधानसभा के मॉडल पर आधारित है। वहां पर भी तीन नामांकित सदस्य चुने हुए विधायकों की तरह से काम करते हैं और उन्हें वोटिंग का भी अधिकार होता है। पुडुचेरी की पूर्व एलजी किरण बेदी ने दो सदस्यों को बिना कांग्रेस की सलाह के नॉमिनेट कर दिया था। इसके बाद उनके फैसले को मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। बाद में साल 2017-18 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था। पुडुचेरी सरकार ने तर्क दिया था कि एलजी को मुख्यमंत्री से सलाह लेकर सदस्यों का नामांकन करना चाहिए था। हालांकि शीर्ष कोर्ट ने इसमें कोई कानूनी उल्लंघन नहीं पाया था।
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के उपाध्यक्ष रविंदर शर्मा कहते हैं कि सरकार बनने से पहले एलजी द्वारा पांच विधायकों के नामांकन का हम विरोध करते हैं। जानकारी के मुताबिक उन्होंने कहाकि इस तरह का कोई भी कदम लोकतंत्र, आम जनता के मैंडेट और संविधान पर हमला है। वहीं, भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहाकि इन सदस्यों का नामांकन नियमों के मुताबिक ही होगा। एलजी को इस मामले में पूरा अधिकार मिला हुआ है और नियमों का पूरी तरह से पालन करेंगे।