भाजपा और कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव प्रचार के साथ दोनों दलों ने अपने घोषणा पत्र में कई लुभावने वादे किए हैं। कांग्रेस की घोषणाएं का बोझ करीब 36 से 38 हजार है जबकि भाजपा की 30 से 32 हजार करोड़ का अनुमान है। हरियाणा सरकार ने इस बार एक लाख 89 हजार 876 करोड़ का अनुमानित बजट बनाया था। इस हिसाब से भाजपा आए या कांग्रेस बजट का 16-17 फीसदी हिस्सा सिर्फ मुफ्त वादों की घोषणा में ही चला जाएगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि मौजूदा बजट में इन मुफ्त योजनाओं को लागू करने में किसी अन्य मद में कटौती भी करनी पड़ सकती है।
हरियाणा सरकार के कुल बजट का 31 फीसदी हिस्सा सिर्फ ऋण भुगतान में चला जाता है। ऐसे में मुफ्त वादों को पूरा करना दोनों ही दलों की सरकारों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है। भाजपा सरकार ने फरवरी में जो बजट पेश किया था, उसके मुताबिक 2024-25 वित्तीय वर्ष में सिर्फ पेंशन का बजट ही 10971 करोड़ है, जो कुल बजट का 5.78 फीसदी है। जबकि 2013-14 के दौरान पेंशन का बजट करीब 1753 करोड़ था। हालांकि पेंशन लाभार्थियों की संख्या में भी इजाफा भी हुआ है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लाभार्थियों की संख्या 2014 में 22.64 लाख थी जो बढ़कर करीब 31.51 लाख पहुंच गई है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कांग्रेस के वादे के मुताबिक वह छह हजार रुपये पेंशन देंगे। इसका मतलब है कि जो पैसा अभी दिया जा रहा है, उसका दोगुना मान सकते हैं।
क्या कहते हैं अर्थशास्त्री
अर्थशास्त्री व राजकीय कॉलेज महाविद्यालय बहु के प्रोफेसर डा. सुनील कुमार कहते हैं कि यदि मुफ्त योजनाएं ऊपरी तबकों के लिए हैं तो इसे एक तरह का बोझ समझा जाएगा और यदि नीचे वाले तबकों के लिए है तो इसे एक संपत्ति के तौर पर मान सकते हैं। हालांकि महिलाओं को पैसे देकर दोनों दल उन्हें मजबूत बनाएंगे और उनकी परचेजिंग पावर बढ़ेगी, इससे एक मार्केट बनाएगी। हालांकि सरकार को इन सभी योजनाओं को पूरा करने के लिए रिसोर्श बढ़ाने होंगे। फिजूलखर्ची रोकनी होगी और जरूरत पड़ने पर कुछ मदों पर कटौती भी करनी पड़ सकती है। जीएसटी होने की वजह से सरकार कोई नया कर भी नहीं लगा सकती है। हालांकि मेरा व्यक्तिगत मानना है कि इस तरह की योजनाओं से बेहतर उनके लिए आय और नौकरी के लिए अवसर पैदा करने पर जोर देना चाहिए था। इससे उन्हें ज्यादा मजबूती मिलती और इस तरह योजनाएं किसी आपातकालीन समय ( कोविड या मंदी जैसे दौर पर ) के लिए बचा कर रखनी चाहिए।
सरकार ऐसे खर्च करती है बजट
1. 23.12 फीसदी आर्थिक सेवाओं पर
– कृषि सिंचाई व अन्य पर 11.52
– परिवहन, नागरिक उड्डयन, सड़के और पुल पर 4.16
– ग्रामीण विकास और पंचायतें 3.86
– अन्य पर 3.58
2. 14.66 फीसदी सामान्य सेवाओं पर
– प्रशासनिक सेवाओं पर 4.39
– पेंशन 8.08
– अन्य 2.19
3. 31.05 फीसदी सामाजिक सेवाओं पर
– शिक्षा 10.94
– समाज कल्याण 7.59
– स्वास्थ्य व परिवार कल्याण 5.02
– जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी 2.50
– अन्य 5.00
4. 31.17 फीसदी ऋण भुगतान पर
– मूलधन 17.93
– ब्याज 13.24