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सहारनपुर: नेशन बिल्डर्स की अनोखी जन्माष्टमी- कान्हा के रास नहीं उनके द्वारा दुष्टों को त्रास को याद करें :- पद्मश्री स्वामी भारत भूषण

रिपोर्ट- गौरव सिंघल, विशेष संवाददाता,दैनिक संवाद,सहारनपुर मंडल,उप्र:।।
 
सहारनपुर (दैनिक संवाद न्यूज)। नेशन बिल्डर्स अकादमी और मोक्षायतन योग संस्थान में योगेश्वर श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर हर तरफ बाल कृष्ण ही कृष्ण दिख रहे थे और साथ ही गाय के घी से हुए कान्हा के स्वागत की सुगंध। माता- पिता ने जिस उत्साह से बच्चों को कान्हा और राधा के बाल रूप में सजाकर भेजा वह मनोहारी था। आज संस्थान में मौजूद योगीराज स्वामी भारत भूषण ने बच्चों, साधकों और शिक्षकों के साथ मुक्त भाव से संवाद किया और इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कृष्ण को रास रसैय्या और बंसी बजैया के रूप में ही प्रचारित किया जा रहा है उनके पराक्रम, शौर्य, ज्ञान, कर्मयोग, नेतृत्व शक्ति, नीतिज्ञ और जगद्गुरु रूप कहीं खो से गए हैं।
उन्होंने बड़े रोचक अंदाज में बच्चों को बताया कि नर्सरी के बच्चों की उम्र में ही उन्होंने पूतना राक्षसी का संहार किया और तूफान भरी यमुना में कालिया नाग को नथ कर ऐसा नियंत्रित किया कि वह कान्हा के चरणों में आ गया। कृष्ण ने छोटी उम्र में ही मथुरा मुष्टिक चाणूर और कंस जैसे राक्षसों का वध करके समाज को राहत की सांस दी। योग गुरु भारत भूषण ने कृष्ण की बंसी को योग के सात चक्रों के जागरण और ध्यान से परम ज्ञान प्राप्ति के साधन के रूप को समझाया और बताया कि पूरे महाभारत गीता और कृष्ण के प्रमाणिक साहित्य में राधा नाम की महिला का कोई उल्लेख नहीं आता।  उनकी आत्मा और ध्यान की गहराई में उसमे ही रमण को प्रतीक रूप में ऐसा बताया जाने लगा कि जैसे किसी स्त्री के संग प्रेम प्रसंग की बात हो। कृष्ण और इनके बड़े भाई कितने बड़े पहलवान और पराक्रमी योद्धा थे कि जन्माष्टमी पर दंगल, और गीता ज्ञान प्रतियोगिताएं आयोजित होती रही हैं लेकिन राधा संग काल्पनिक रास लीलाओं के नाम पर कृष्ण के असल स्वरूप को हम भूलते जा रहे हैं जो समाज को कमजोरी की तरफ धकेल रहा है। स्वामी भारत भूषण ने माता- पिता से भी कहा कि बच्चों के मन में डर बैठाना छोड़ें और उन्हें चुनौतियों में जीना सिखाएं।
उन्होंने कहा कि बच्चों को मंदिर अवश्य भेजें और स्वयं उनके साथ जाएं क्योंकि मंदिर ज्ञान अध्यात्म भक्ति और शक्ति के केंद्र हैं जिन्हें आपके पूर्वजों ने अपने तप से जाग्रत किया है,ये व्यक्ति और समाज दोनो की ही मजबूती का साधन हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर में भगवान से मांगने के बजाय मंदिरों की सेवा करने जाएं। योग गुरु भारत भूषण बोले कि हम निष्क्रिय रहें तो न शिव हमारी रक्षा करेंगे, न कृष्ण न दुर्गा और न ही हनुमान क्योंकि हमे गीता का ये उपदेश याद रखना होगा कि धर्मो रक्षति रक्षित: यानी धर्म उन्ही की रक्षा करता है जो धर्म की रक्षा करते हैं।
बंटे और बिखरे परिवार और समाज दोनो का विनाश निश्चित है। आज जन्मदिन होने से साधिका मोना मिगलानी, अवधेश दुआ और ललित वर्मा जन्माष्टमी यज्ञ के यजमान रहे। नन्हे नेशन बिल्डर्स और युवा योग साधकों ने योगाभ्यास और मल्ल विद्या शरीर सौष्ठव का प्रदर्शन भी किया। कार्यक्रम में मुख्यत: ऋषिपाल सिंह, सोनल सचदेव, आलोक श्रीवास्तव, विजय सुखीजा, बार एसोसिएशन उपाध्यक्ष मुकेश शर्मा, सुरभि सेठी, सुमन्यू सेठ, पूनम वर्मा, नारायण, रमन शर्मा, मिथलेश शर्मा और अजय यादव आदि उपस्थित रहे।