रियाणा में हाल ही में लोकसभा चुनाव संपन्न हुए हैं और कुछ ही दिनों के बाद विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं. लोकसभा चुनावों में प्रदेश सरकार को सरपंचों की नाराज़गियों को झेलना पड़ा था, लेकिन अब सरकार नहीं चाहती कि आने वाले विधानसभा चुनावों में भी चौधरियों की नाराजगी का सामना करना पड़े. यही कारण है कि अब सरकार सरपंचों की बिना ई- टेंडरिंग के खर्च करने की अधिकार सीमा को दोगुना करने की सोच रही है. पंचायत एवं विकास विभाग द्वारा इसकी पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई है.
लोकसभा चुनावों में सरकार झेल चुकी विरोध
बता दें कि सरपंच 5 लाख रूपए तक के काम बिना ई- टेंडरिंग के जरिए करवा सकते हैं. इससे ज्यादा के कामों के लिए ई- टेंडरिंग का प्रावधान है. सरकार के इस फैसले के बाद सरपंचों की नाराजगी सामने आई थी. लोकसभा चुनाव में सरपंचों द्वारा सरकार का विरोध किया गया, जिसका नतीजा चुनावों के परिणाम में भी देखने को मिला. आगामी विधानसभा चुनावों के चलते प्रदेश सरकार इस विवाद को खत्म करना चाहती है.
इसी जुगत में आने वाली 2 जुलाई को कुरुक्षेत्र में होने वाले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तथा पंचायत राज्य मंत्री महिपाल ढांढा बिना ई- टेंडरिंग के खर्च करने के अधिकार सीमा को दोगुना करने के बारे में ऐलान कर सकते हैं. सरपंचों की मांग थी कि इस अधिकार सीमा को 20 लाख किया जाए, लेकिन सरकार ने इस सीमा को 10 लाख रुपए करने का फैसला किया है.