राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh- RSS) के नेता रतन शारदा (Ratan Sharda), ने आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर (Organiser) में एक आर्टिकल लिखा है. उन्होंने गुरुवार को कहा कि सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उनके आर्टिकल की तारीफ की है. रतन शारदा ने कहा, “बीजेपी और आरएसएस (BJP and RSS) के कई नेताओं ने मुझे संदेश भेजा है. वे मेरे लिखे से सहमत हैं. इससे पता चलता है कि दोनों के बीच एक अंतर है. बीजेपी, सुधार करने और वापसी करने के लिए जानी जाती है. मैंने यह आर्टिकल सकारात्मक नजरिए के साथ लिखा है.”
अजित पवार (Ajit Pawar) की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party- NCP) के साथ गठबंधन और महाराष्ट्र की राजनीति (politics of Maharashtra) पर बोलते हुए शारदा ने अपने लेख में कहा था, ‘यह अनावश्यक राजनीति और टाले जा सकने वाले जोड़-तोड़ का बेहतरीन उदाहरण.’
जब उनसे पूछा गया कि एनसीपी के साथ यह गठबंधन क्यों हुआ तो शारदा ने कहा, “यही तो आम लोग सड़क पर पूछ रहे हैं. महाराष्ट्र में सरकार सुरक्षित थी, फिर क्यों? अजित पवार एक अच्छे नेता हैं, लेकिन वोट ट्रांसफर नहीं हुए,”
अपने आर्टिकल में शारदा ने आलोचना की कि कैसे स्थानीय नेताओं की अनदेखी की गई और दलबदलुओं को आगे लाया गया, जिन्हें चुनाव से पहले बड़ी संख्या में लाया गया. मोदी के नाम पर हर सीट जीती जा सकती है… यह विचार भी सीमित महत्व का है.
उन्होंने अपने आर्टिकल में कहा है, “दलबदलू 69 सीटों में से 25 फीसदी सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे, जिनमें से वे हार गए. उन्हें किसने हराया? जनता ने उन्हें हराया. इसलिए उम्मीदवार के रूप में किसे नामित किया जाता है, यह भी अहम है.”