जम्मू-कश्मीर में मुख्यधारा की दो पार्टियों ने अनुच्छेद 370 पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले सोमवार को आरोप लगाया कि उनके पार्टी प्रमुखों को नजरबंद कर दिया गया है जबकि सरकार और पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नजरबंदी को अफवाह करार देते हुए कहा, ‘मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि जम्मू-कश्मीर में किसी को भी नजरबंद नहीं किया गया है और न ही राजनीतिक कारणों से किसी को गिरफ्तार किया गया है।’
श्रीनगर पुलिस ने भी इस बात से इनकार किया है कि किसी भी व्यक्ति को नजरबंद किया गया है। इससे पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने सोमवार को आरोप लगाया कि पार्टी अध्यक्ष मुफ्ती को नजरबंद कर दिया गया है। पीडीपी ने एक्स पर पोस्ट किया, “सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाए जाने से पहले ही, पुलिस ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के आवास के दरवाजे सील कर दिए हैं और उन्हें अवैध रूप से नजरबंद कर दिया है।” इसमें बंद दरवाजों की तस्वीरें भी साझा की गईं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस की राज्य प्रवक्ता सारा हयात शाह ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को “उनके घर में बंद कर दिया गया है।” उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “श्री उमर अब्दुल्ला को उनके घर में बंद कर दिया गया है। प्रजातंत्र?”
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ 05 अगस्त, 2019 की केंद्र सरकार की कार्रवाई की वैधता पर सोमवार को फैसला सुनाएगी। श्रीनगर और अन्य प्रमुख शहर शांत रहे, सरकार स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रही थी। पुलिस ने सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी है और पिछले कुछ दिनों में कई नेटिज़न्स पर उनके पोस्ट के लिए मामला दर्ज किया गया है।
स्थिति पर नजर रखने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), श्रीनगर से प्राप्त एक निर्देश के बाद अधिकारियों ने रविवार देर शाम श्रीनगर शहर में 29 नागरिक अधिकारियों को मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किया। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा काफिले की आवाजाही भी निलंबित कर दी गई है।