पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज यहां बताया कि पंजाब सरकार द्वारा राज्य में व्यापार और उद्योग को लाभ पहुंचाने के लिए बकाया करों की प्राप्ति के लिए 15 नवंबर, 2023 से 15 मार्च, 2024 तक जारी रहने वाली पंजाब वन टाईम सैटलमेंट स्कीम, 2023 (एकमुश्त निपटारा स्कीम-2023) की शुरुआत की गई है, जिससे पुरानी मुकदमेबाज़ी का बोझ घटेगा और सम्बन्धित व्यापारियों और उद्योगपतियों को वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी) की पालना के योग्य बनाया जा सकेगा।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि 31 मार्च, 2023 तक 1 करोड़ रुपए तक के टैक्स, ब्याज और जुर्माने की कुल बकाया रकम 6086.25 करोड़ रुपए बनती है। उन्होंने कहा कि इस स्कीम के अंतर्गत उन 39,787 करदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए जिनकी तरफ कुल कर बकाया 1 लाख रुपए से कम था, 528.38 करोड़ रुपए के बकाए की पूरी माफी का प्रस्ताव है।
इस स्कीम के विवरण देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कराधान विभाग, पंजाब द्वारा 31 मार्च, 2023 तक जिन करदाताओं का मुल्यांकन तैयार किया गया है, वह इस स्कीम के अधीन अपने बकाए के निपटारे के लिए आवेदन देने के योग्य होंगे। उन्होंने कहा कि यह स्कीम पंजाब जनरल सेल्ज टैकस एक्ट, 1948, केंद्रीय बिक्री कर एक्ट, 1956, पंजाब बुनियादी ढांचा (विकास और रैगुलेशन) एक्ट, 2002 और पंजाब वेल्यु एडिड टैक्स एक्ट, 2005 के अधीन बकाया अदा करने के लिए लागू होगी।
टैक्स, ब्याज और जुर्माने की स्लैब-बार प्रस्तावित छूट के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि वह करदाता एकमुश्त निपटारे के लिए आवेदन देने के योग्य होंगे जिनकी तरफ कुल बकाया रकम (टैक्स, जुर्माना और ब्याज) 31 मार्च, 2023 तक 1 करोड़ रुपए तक थी। उन्होंने कहा कि यह स्कीम 1 लाख रुपए से कम बकाया वाले मामलों में कर, ब्याज और जुर्माने की पूरी छूट प्रदान करेगी, जबकि 1 लाख रुपए से 1 करोड़ रूपए तक के बकाए के लिए ब्याज और जुर्माने पर 100 प्रतिशत माफी होगी और कर की रकम का 50 प्रतिशत माफ होगा।
व्यापारियों और उद्योगपतियों को जल्द से जल्द इस अवसर का लाभ उठाने की अपील करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इस स्कीम के अंतर्गत 15 मार्च, 2024 के बाद बकाए के निपटारे के लिए कोई भी आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. प्रणाली से पहले के बकाए के लिए लाई गई इस एकमुश्त निपटारा स्कीम से जहां पुरानी मुकद्दमेबाज़ी का बोझ घटेगा, वहीं इससे विभाग के संसाधनों के सर्वोत्तम प्रयोग से जी.एस.टी प्रणाली के सुचारू प्रबंधन में मदद मिलेगी।