बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय नागरिकों, कंपनियों और संघों पर पाकिस्तानी अभिनेताओं, गायकों, संगीतकारों, गीतकारों और तकनीशियनों सहित सभी कलाकारों के साथ काम करने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. जस्टिस सुनील बी शुक्रे और जस्टिस फिरदोश पी पूनीवाला की खंडपीठ ने कहा कि याचिका सांस्कृतिक सद्भाव, एकता और शांति को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रतिगामी कदम है और इसमें कोई योग्यता नहीं है. एक सिने कलाकार की इस याचिका में सूचना और प्रसारण मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को प्रतिबंध लगाने और पाकिस्तानी कलाकारों को वीजा देने पर रोक लगाने के लिए उचित अधिसूचना जारी करने के निर्देश देने की मांग की गई थी. हाईकोर्ट ने कहा कि देशभक्ति देश के प्रति समर्पण में है, इसका मतलब दूसरे के प्रति शत्रुता नहीं है.
‘लाइव लॉ’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता के वकील विभव कृष्णा ने दलील दी कि पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम करने की अनुमति देने से भारतीय कलाकारों के साथ भेदभाव हो सकता है क्योंकि भारत में पाकिस्तानी कलाकारों को जो अनुकूल माहौल मिलता है, वह पाकिस्तान में भारतीय कलाकारों को नहीं मिलता है. उन्होंने तर्क दिया कि भारत में पाकिस्तानी कलाकारों पर व्यावसायिक काम करने से रोकने के लिए प्रतिबंध जरूरी है, जो संभावित रूप से भारतीय कलाकारों को समान अवसरों से वंचित कर सकता है. हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशों के बीच सांस्कृतिक सद्भाव और शांति की जरूरत पर बल देते हुए याचिकाकर्ता के रुख को गलत माना. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि देशभक्ति से शत्रुता पैदा नहीं होनी चाहिए, बल्कि एकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना चाहिए.
इसके अलावा हाईकोर्ट ने कहा कि कि निजी संगठनों के प्रस्तावों में वैधानिक शक्ति का अभाव है और उन्हें न्यायिक आदेशों के जरिये से लागू नहीं किया जा सकता है. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के प्रतिबंध लागू करने से संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए), 19(1)(जी), और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर ऐसी याचिकाओं पर विचार किया गया तो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक कदम कमजोर हो जाएंगे. जिनमें पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को भारत में आयोजित विश्व क्रिकेट कप में भाग लेने की अनुमति देने जैसे फैसले शामिल हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में नीतिगत निर्देश तैयार करने के लिए याचिकाकर्ता की प्रार्थना उसके दायरे से परे है, क्योंकि वह सरकार या विधायिका को किसी विशेष तरीके से नीतियां तैयार करने का निर्देश नहीं दे सकती है. इस तरह याचिका खारिज कर दी गई. वकील विभव कृष्णा, अनमोल बी, और ताहिर पी ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया. जबकि वकील रुई रोड्रिग्स ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व किया. सरकारी वकील पीएच कंथारिया के साथ एजीपी मनीष उपाध्ये ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया.