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शाखा प्रबंधक की कार्यशैली से ग्राहकों में दिनों दिन बढ़ रहा आक्रोश

रिपोर्ट सूरज सिंह बाराबंकी ।जिले के रामसनेहीघाट तहसील क्षेत्र के दुल्लापुर गांव निवासी सुनील कुमार सिंह आदि ने उच्चाधिकारियों को पत्र देकर आर्यावर्त ग्रामीण बैंक सूरजपुर के शाखा प्रबंधक पर पशुपालन योजनाओं का लालच देकर मनमाने ढंग से केसीसी रिकनेक्ट करने का आरोप लगाकर कार्रवाई किए जाने मांग की है। शिकायतकर्ता सुनील कुमार सिंह पुत्र स्वoसंवल बहादुर सिंह के अनुसार उनके पिता ने आर्यावर्त बैंक शाखा सूरजपुर से केसीसी ऋण लिया था।पिता की मृत्यु के बाद वह सभी ऋण की बकाया धनराशि अदा करने के लिए व्यवस्था हेतु प्रयासरत थे।

बीते 24 सितंबर को बैंक शाखा प्रबंधक आरपी पांडेय अपने सहयोगियों के साथ उसके घर आए।आरोप है कि पशुपालन योजनाओं का लाभ दिलाने का लालच देकर शाखा प्रबंधक ने शिकायतकर्ता,उसकी मां और उसके भाई से कागजों पर हस्ताक्षर करवाकर उसके दिवंगत पिता के नाम की केसीसी रिकनेक्ट कर दी।पीड़ित व क्षेत्रीय ग्राहकों के मुताबिक शाखा प्रबंधक अक्सर शराब के नशे में धुत रहते हैं और बैंक आने वाले ग्राहकों से भी अभद्रता करते हैं।इसकी कभी भी जांच कराई जा सकती है।पीड़ित ने जिलाधिकारी और एलडीएम,क्षेत्रीय शाखा प्रबंधक समेत अन्य उच्चाधिकारियों को शिकायती पत्र देकर शाखा प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।मृतक के तीन वारिस है।जबकि दो वारिसो(अनिल कुमार सिंह, ऊषा सिंह)के नाम केसीसी बनाके स्व पिता द्वारा लिया गया पुराना ऋण खाता बंद कर दिए है.

जबकि दोनो लोग बैंक परिसर तक नहीं गए।पीड़ितों के दरवाजे पर अनिल कुमार सिंह,ऊषा सिंह,सुनील कुमार सिंह से हस्ताक्षर पशु पालन योजना के तहत ऋण देने के लिए 43189 रुपए पंजीकरण के हेतु जमा करवा लिया।जिसकी जमा रसीद मांगने पर असमर्थता जताते हुए अगले दिन शाखा आने पर रसीद देने का विश्वास दिलाया।जिसका जिक्र नहीं किया गया है।केसीसी ऋण में सिविल मायने नहीं रखता है।दो वारिसो पर अतिरिक्त भार लगा दिया गया है।जो कि न्यायोचित नहीं है।अगर केसीसी नही बनाए थे तो शाखा प्रबंधक दो लोगो के हिस्से में जितना बकाया आता उतना जमा कर शेष बकाए धनराशि की व्यवस्था जब सुनील कुमार सिंह के पास होती तब जमा करते।शाखा प्रबंधक पर सुनील कुमार सिंह द्वारा हस्ताक्षर की गई फाइल दबाए जाने का आरोप है।तीन वारिस के बाद भी दो ही वारिसो अदा किया गया बकाया।उक्त घटित घटना के संदर्भ में पीड़ित शपथ पत्र दें सकते है।उच्चाधिकारी शाखा प्रबंधक की शिकायतों संज्ञान न लेने की बजाय ठंडे बस्ते में रखने में दिलचस्पी दिखा रहे है।