ज्ञानवापी प्रकरण (Gyanvapi Case) से जुड़े सभी मामलों की अब एक साथ सुनवाई की जाएगी। वाराणसी जिला अदालत ने मंगलवार को सभी मुकदमों (lawsuits) को एक साथ क्लब करने का आदेश सुनाया है। जिला जज की अदालत ने चार महिलाओं की ओर से दी गई अर्जी स्वीकार कर ली। सुनवाई की अगली तिथि सात जुलाई तय की गई है। कोर्ट शृंगार गौरी के मुख्य प्रकरण पर पहले सुनवाई शुरू करेगी।
आपको बता दें कि सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से वैज्ञानिक पद्धति से सर्वे कराने संबंधी दी गई अर्जी पर सोमवार को मुस्लिम पक्ष ने जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में आपत्ति दाखिल की। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 42 बिंदुओं पर छह पेज में आपत्ति दर्ज कराई है।
शृंगार गौरी केस की चार वादी-लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन (Vishnu Shankar Jain) ने जिला जज की अदालत में 16 मई को सर्वे कराने की मांग वाली अर्जी दाखिल की थी। उसके मुताबिक पिछले वर्ष कोर्ट कमीशन की कार्यवाही में ज्ञानवापी परिसर स्थित ढांचे के खम्भों पर संस्कृत के श्लोक, घंटियां, त्रिशूल व स्वास्तिक के चिह्न, शृंगार गौरी का विग्रह समेत हिंदू देवी-देवताओं व मंदिरों से जुड़े साक्ष्य सामने आए थे। वादियों ने सम्पूर्ण परिसर (whole complex) का जीपीआर तकनीकी या कार्बन डेटिंग से सर्वे कराने की मांग की है।
अधिवक्ता के अनुसार परिसर की एएसआई जांच से यह भी पता चल सकेगा कि कोई नया निर्माण नहीं कराया है बल्कि मंदिर के ऊपर निर्माण कर मस्जिद का स्वरूप दिया गया है। उन्होंने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के 12 मई के एएसआई सर्वे के आदेश का भी हवाला दिया है। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को लिखित आपत्ति दर्ज कराने के लिए अदालत ने 19 मई तक समय दिया था। उस दिन मुस्लिम पक्ष ने और समय की मांग की जिस पर अदालत ने 22 मई की तिथि मुकर्रर की थी।