हिंडनबर्ग- अडानी विवाद में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच कराने की विपक्ष की तरफ से की जा रही मांग पर केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के संबंध में केंद्र सरकार कोई जांच नहीं कर रही है।
कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सदन को एक लिखित उत्तर में बाया कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के संबंध में है जो सेबी के दायरे में आती हैं। इसके अलावा यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है जिसने दो मार्च को इस मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों को समिति के साथ जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है। समिति को दो महीने के भीतर अदालत को अपनी रिपोर्ट देनी है।
दरअसल, कांग्रेस सांसद अदूर प्रकाश ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से पूछा था कि क्या उसने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप ऑफ कंपनीज के वित्तीय विवरणों और अन्य नियामक प्रस्तुतियों पर कोई समीक्षा की है और क्या कोई अनियमितता पाई गई है। केरल से कांग्रेस सांसद ने सरकार से यह भी जानना चाहा कि अगर कोई अनियमितता पाई गई है तो उस पर क्या कार्रवाई की गई।
कंपनियों को बंद करना आसान बनाएगी सरकार
एक अन्य सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार निजी कंपनियों को बंद करने व कारोबार को समेटने की प्रक्रिया को आसान बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए मानेसर में त्वरित कॉरपोरेट निकास प्रसंस्करण केंद्र (सी-पेस) स्थापित करने का फैसला किया गया है। यहां इससे जुड़ी हुई प्रक्रियाओं का त्वरित निपटारा होगा। यह केंद्र अगले महीने से शुरू हो जाएगा।
गौरतलब है कि हिंडनबर्ग-अदाणी विवाद को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी घसीटा है और सरकार पर अदाणी ग्रुप को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी का आरोप है कि अदाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने कुछ क्षेत्रों में नियमों में भी बदलाव किया है। हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
विपक्ष जेपीसी की अपनी मांग पर अड़ा
वहीं, अदाणी मुद्दे को लेकर संसद में गतिरोध बना हुआ है। विपक्ष मामले की जांच के लिए जेपीसी के गठन की अपनी मांग पर अड़ा है, जिसके चलते संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हो रही है। कांग्रेस का कहना है कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ही सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए अदाणी मामले की व्यापक जांच कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट की समिति सिर्फ सेबी कानून और नियमों जैसे उल्लंघनों की जांच तक सीमित रहेगी।
दोनों सदनों में टूटी मर्यादा
वहीं, संसद के दोनों सदनों में सोमवार को मर्यादा तार-तार हो गई। मानहानि मामले में राहुल गांधी के लोकसभा की सदस्यता गंवाने के मामले में सोमवार को विपक्षी सांसदों ने दोनों सदनों में सरकार पर जमकर हमला बोला। हंगामे, नारेबाजी और पोस्टर लहराते हुए लोकसभा में नाराज विपक्षी सदस्यों ने स्पीकर ओम बिरला पर कागज के टुकड़े फेंके। निर्णय के खिलाफ कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्य काले कपड़े और मुंह पर काली पट्टी बांध कर सदन में आए थे।
विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही एक मिनट भी नहीं चल सकी। कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी सदस्यों ने स्पीकर पर यह कहते हुए कागज के टुकड़े फेंके और पोस्टर लहराए कि आप लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। इसके चलते स्पीकर ने चंद सेकंड में ही कार्यवाही पहले शाम चार बजे और उसके बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में भी विपक्ष के हंगामे और नारेबाजी के बीच सदन की कार्यवाही पहले दो बजे तक और फिर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।