इस बार सीमा सड़क संगठन (border roads organisation-BRO) ने रेकॉर्ड समय में लेह-श्रीनगर राजमार्ग (Srinagar Leh Highway) को खोल (Opened in record time) दिया है। यह राजमार्ग पहले महीनों तक बंद रहा करता था। हालांकि इस बार केवल 68 दिनों में बर्फ साफ करके इसे दोबारा आवागमन के लिए खोल दिया गया। अटल टनल (Atal Tunnel) की वजह से भी इस काम में आसानी हुई है। इसके अलावा सरकार का प्लान है कि दो अन्य सुरंग तैयार कर दी जाएं जिससे की हर मौसम में लेह और लद्दाख से कनेक्टिविटी (Connectivity to Leh and Ladakh) बनी रही।
16 मार्च को 439 किलोमीटर लंबा श्रीनगर राजमार्ग खोल दिया गया था। यह रास्ता 11540 फीट की ऊंचाई पर जोजि ला से होकर गुजरता है। श्रीनगर से 100 किलोमीटर आगे का रास्ता भारी बर्फबारी की वजह से दुर्गम हो जाता है। इसलिए इसे महीनों तक बंद रखना पड़ता था। इस बार इसे 6 जनवरी को बंद किया गया था। इसके अलावा मनाली लेह रोड जो कि 427 किलोमीटर लंबी है, उसे भी 138 दिनों के बाद शनिवार को खोल दिया गया। पहले इस रास्ते को मई या फिर जून में खोला जाता था।
लेह-मनाली राजमार्ग रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। इसका इस्तेमाल सेना के आवाजाही के साथ ही साजोसामान पहुंचाने के लिए भी किया जाता है। लद्दाख में हिमांक परियोजना और हिमाचल प्रदेश में दीपक परियोजना के अंतरगत बर्फ हटाने का काम पूरा किया गया। निम्मू-पदम-दारचा मार्ग को भी गुरुवार को 55 दिनों के बाद खोल दिया गया था। यह शिंकू ला से होकर गुजरता है। बता दें कि गलवान घाटी में हिंसा के बाद से लद्दाख में सुरक्षाबलों की तैनाती और आवाजाही बढ़ी है।
इन रास्तों के खुल जाने से सेना का साजोसामान पहुंचाने का खर्च कम हो जाएगा। इसके अलावा लेह-लद्दाख में रहने वाले लोगों को भी सुविधा होगी। रास्ते बंद होने की वजह से यहां रहने वाले लोगों को देश के बाकी हिस्सों में आने जाने के लिए हवाई मार्ग से ही यात्रा करनी पड़ती थी।