रिपोर्ट:- गौरव सिंघल, विशेष संवाददाता,दैनिक संवाद, सहारनपुर मंडल,उप्र:।।
देवबंद(दैनिक संवाद न्यूज)।ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध नगर देवबंद के सात्विक खानपान के लिए विश्वभर में विख्यात गांव मिरगपुर में बाबा फकीरादास की सिद्ध कुटी पर हर वर्ष की भांति इस बार भी भव्य मेले का आयोजन किया गया।
मेले में आसपास ही नहीं दूर-दराज से भी बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने प्रसाद चढ़ाकर अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए मन्नत मांगी। बाबा फकीरादास की सिद्धकुटी पर सुबह हवन-पूजन किया गया। जिसके बाद प्रसाद चढ़ाने के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी लाइनें लगी नजर आई। इस मेले का महत्व इतना है कि इस दिन मिरगपुर गांव के प्रत्येक परिवार के सभी रिश्तेदार एकत्र होते हैं जो विधिवत बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं। इस दिन प्रत्येक घर में देशी घी का हलवा और पेडे़ का प्रसाद भी बांटा जाता है। गांव के चौधरी ओमपाल सिंह, अमित गुर्जर, विकास चौधरी ने बताया कि हर वर्ष की भांति अबकी बार भी बाबा की सिद्धकुटी पर भव्य मेला आयोजित हुआ है। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया हैं।
लोगों ने प्रसाद चढ़ाने के बाद मंदिर प्रांगण में आयोजित मेले का भी भरपूर आनंद उठाया। गांव मिरगपुर में आज मेले में आए मेहमानों के लिए गांव का प्रत्येक बुजुर्ग, युवा और बच्चे लोगों की आवभगत में जुटे रहे। मेले में आए लोग गांव में अपने-अपने परिचितों के यहां भी पहुंचे। भीड़ का आलम यह था कि एक-एक घर में कई-कई गाड़ियां खड़ी नजर आईं। गांव की गलियों में गाड़ियों के हॉर्न की आवाज और लोगों की खूब चहल-पहल दिखाई पड़ी। मेले में सांसद प्रदीप चौधरी, विधायक मुकेश चौधरी, विधायक देवेंद्र निम, जिला कोआपरेटिव बैंक के चेयरमैन चौधरी राजपाल सिंह, बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी, बोबी त्यागी उर्फ दीपक, अतुल प्रधान, चौधरी ओमपाल सिंह, अमित गुर्जर, विकास चौधरी समेत काफी संख्या में लोग पहुंचे।
जानकारी के अनुसार देवबंद से छह किलोमीटर दूर काली नदी के किनारे ऊंचे टीले पर बाबा फकीरादास की सिद्ध कुटी बनी हुई है। करीब 400 साल पूर्व सम्राट जहांगीर के शासनकाल के दौरान राजस्थान निवासी सिद्ध पुरूष बाबा फकीरादास घूमते-घूमते इस गांव में आए थे। उन्होंने गांववासियों को संदेश दिया था कि वे यदि सात्विक भोजन को अपनाएंगे तंबाकू, शराब, प्याज, लहसुन, मांस, अंडा, सिरका आदि का सेवन नहीं करेंगे तो वे हमेशा खुशहाल रहेंगे। बाबा फकीरादास कुछ समय के लिए इस गांव में रूके थे और उन्होंने गांव वालों को कई तरह के चमत्कार दिखाकर उनका विश्वास अर्जित किया था। गांव वालों के मन में उनके प्रति अगाध श्रद्धा उत्पन्न हो गई थी। मिरगपुर वासियों ने गुरू बाबा फकीरादास की कही बातों को अपने जीवन में हमेशा के लिए उतारने का संकल्प लिया था। जिसका ये गांव आज भी अनुसरण कर रहा है।
पूर्व ब्लाक प्रमुख चौधरी प्रविंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता विरेंद्र चौधरी, चौधरी ओमपाल सिंह, प्रगतिशील किसान चौधरी मैनपाल सिंह, अमित गुर्जर मिरगपुर और विकास चौधरी ने बताया कि हर वर्ष फागुन माह की दशमी को गुरू पर्व के मौके पर बाबा फकीरादास की सिद्ध कुटी पर सालाना मेला लगता है। जो आज बुधवार को गांव में आयोजित किया गया। मेले में पहुंचने वाले लोगों की खातिरदारी गांववासियों ने देशी घी के हलवे और शुद्ध मावे के पेड़े से की। सिद्ध कुटी पर तड़के से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई और शाम तक वहां उनके पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। अपनी विशेषताओं के कारण भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत देशभर में अनूठी मिसाल बना मिरगपुर गांव करोड़ों लोगों को सात्विक खानपान और नशामुक्ति का संदेश देता है। यह गांव भारत के राष्ट्रपति से आदर्श गांव का सम्मान प्राप्त कर चुका है और इंडिया बुक आफ रिकॉर्डस में भी दर्ज है।
इस गांव में रहने वाले करीब 90 फीसद लोग हिंदू गुर्जर बिरादरी के हैं। जो खेतीबाड़ी में बहुत उन्नत और प्रगतिशील हैं। मुख्य रूप से इस गांव में गन्ने और गेहूं की खेती होती है। बलशाली और हस्टपुस्ट मिलनसार स्वभाव के मिरगपुर के लोगों को उनकी विशिष्ट पहचान के कारण बेहद सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त है। गुर्जर बिरादरी समेत अन्य राजनीतिक दलों और बिरादरियों के जनप्रतिनिधि भी फकीरादास की सिद्ध कुटी पर बने मंदिर में पहुंचकर सिर नवाते हैं और प्रसाद का आनंद लेते हैं। मेले के दिन गांववासियों की सभी बहू-बेटियां भी गांव में अपने परिवारों में इस खास मौके पर उपस्थिति दर्ज कराना अपना फर्ज मानती हैं। महंत संत पद्मश्री स्वामी कल्याण देव जी महाराज इस गांव की सात्विकता से बहुत प्रभावित रहे हैं। उनका इस गांव और ग्रामीणों से भारी लगाव रहा। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. राजेश पायलट, पूर्व मंत्री स्व. यशपाल सिंह, पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. चौ. नारायण सिंह का भी इस गांव से भारी लगाव रहा और वो भी हमेशा यहां के वार्षिक मेले मे बढ़-चढ़कर भागीदारी किया करते थे।