आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अब देश को चलाना मुश्किल हो गया है. देश में अब कुछ दिनों का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है और IMF से बेलआउट पैकेज को लेकर कोई नतीजा भी नहीं निकल पा रहा. खबर आ रही है कि अब यहां का रेलवे विभाग भी कंगाल हो चुका है. रेलवे कर्मचारियों को 8 महीने से वेतन नहीं मिला है, जिसको लेकर लोगों ने भारी प्रदर्शन भी किया. रेलवे की आमदनी और खर्च में 50 फीसदी तक का अंतर आ गया है.
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, सीनेट (संसद का ऊपरी सदन) में जमात-ए-इस्लामी के सांसद मुश्ताक अहमद के सवाल पर जवाब देते हुए कानून और न्याय राज्य मंत्री शहादत अवान ने बताया कि चालू वित्तिय वर्ष की पहली तिमाही में रेलवे ने अपने संचालन पर 52.99 अरब रुपए खर्च किए, वहीं रेलवे की कमाई मात्र 28.263 अरब रुपये ही रही.
शहादत अवान ने अपने जवाब में कहा कि 31 जुलाई 2022 से 31 दिसंबर 2022 रेलवे का शुद्ध घाटा 2.977 अरब रुपये रहा. रेलवे ने 35 प्रतिशत हिस्सा पेंशन और 33 प्रतिशत हिस्सा वेतन पर खर्च किया जबकि इस दौरान केंद्र सरकार ने रेलवे को 21.75 अरब का अनुदान दिया. हालांकि मंत्री के दावे को दूसरे सांसदों ने नकार दिया. बलूचिस्तान अवाम पार्टी के दानिश कुमार ने कहा कि रेलवे का घाटा 24.727 अरब है, लेकिन पाक में बताया जा रहा है कि सिर्फ 3 अरब का घाटा हुआ है. पाकिस्तान रेलवे तेल की भारी कमी झेल रहा है, यह बात सरकार ने खुद दो महीने पहली आई रिपोर्ट में कहा था.
पाकिस्तान में पिछले साल 2022 में आई बाढ़ के कारण हजारों किलोमीटर की रेलवे लाइन बाढ़ के पानी में उखड़ गई थी जिसे ठीक करने का काम अभी तक नहीं हो पाया है. चीन जैसे दोस्त ने पाकिस्तान को बाढ़ के वक्त लोन देने की बात कही थी लेकिन अभी तक कोई लोन उसे नहीं मिला पाया है.
पाकिस्तान में 11,881 किलोमीटर की रेलवे लाइन है. यह लाइन 1947 से पहले अंग्रेजो ने बनाई थी, विभाजन के बाद भारत ने तो रेलवे नेटवर्क को हाई टेक बनाने पर ध्यान दिया लेकिन पाकिस्तान में यह काम नहीं हो पाया. यहां रेलवे विभाग में 70 हज़ार कर्मचारी काम करते है और सात करोड़ यात्री हर साल रेलवे से सफर करते है. पाकिस्तान रेलवे का मुख्यालय लाहौर में यहां का रेल नेटवर्क अफगानिस्तान, भारत से जुड़ा है. भारत-पाकिस्तान के बीच मशहूर ‘समझौता एक्सप्रेस ट्रेन’ भी चलती है जो पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से लाहौर तक जाती है.