बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती वर्ष 2009 के बाद से देश और प्रदेश में हर चुनाव हार रही हैं. बीते लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी (SP) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने पर जरूर बसपा को 10 सीटों पर जीत मिली, लेकिन फिर बीते विधानसभा चुनाव में उसे एक ही सीट पर जीत हासिल हुई. यही नहीं बसपा का वोट बैंक भी रसातल पर पहुंच गया तो अब लोकसभा चुनावों के पहले मायावती ने पार्टी के वोट बैंक को फिर से संगठित करने के लिए अपने घर से निकलने का फैसला किया है.
अब कांशीराम की तर्ज पर मायावती नगर निकाय चुनाव के दौरान प्रदेश का दौरा करेंगी. इस दौरान वह बहुजन समाज से मिलेंगी और मंडलीय पदाधिकारियों के साथ ‘क्लोज डोर’ मीटिंग करेंगी और पहली बार नगर निकाय चुनाव में कुछ सभा भी करेंगी. मायावती को लगता है कि निकाय चुनावों में जनता के बीच जाने से बसपा के पक्ष में लोकसभा चुनाव का माहौल बनेगा और कार्यकर्ता भी उत्साहित होंगे.
लोकसभा चुनाव मायावती के लिए बेहद अहम
वास्तव में आगामी लोकसभा चुनाव मायावती के लिए बेहद अहम है, लेकिन राज्य में बसपा को लेकर जो माहौल है, वह मायावती की मुसीबतों को बढ़ा रहा है. ऐसे में पार्टी के वोट बैंक को फिर से अपने पक्ष में करने के लिए मायावती को एक मात्र रास्ता यही समझ में आया कि वह कांशीराम की तरह जनता के बीच जाएं, तभी बसपा का खोया जनाधार वापस लौटेगा. बसपा नेताओं के अनुसार, बीते विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद से ही मायावती पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए बैठकें पर बैठकें कर रही हैं.
संगठन में कई फेरबदल किए गए
इसी क्रम में उन्होने पार्टी संगठन में कई फेरबदल किए और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को भी बदल दिया. नए प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने जिम्मेदारी संभालते ही पहले सभी मंडलों में बैठकें कीं. वह अब सेक्टर वार बैठकें कर रहे हैं. विश्वनाथ पाल की तरह ही बसपा के कोऑर्डिनेटर और पदाधिकारी भी गांव-गांव में जाकर बहुजन समाज के बीच बैठक कर रहे हैं. इन बैठकों का ब्यौरा मायावती को दिया जा रहा है.
ऐसी बैठकों में बहुजन समाज के लोगों ने पार्टी का जनाधार कम होने का कारण मायावती और पार्टी के अन्य बड़े नेताओं का जनता के बीच न जाना बताया. लोगों का कहना था कि मायावती अब बहुजन समाज जी लीडर कम ट्विटर लीडर ज्यादा हो गई हैं और बहुजन समाज की तकलीफो को जानने के लिए भी मायावती अपने घर से नहीं निकलती हैं, जिसके चलते ही बहुजन समाज बसपा से दूर होता जा रहा है.
चुनाव प्रचार की रणनीति बदलेगी मायावती
बताया जाता है कि बहुजन समाज के लोगों से मिली जानकारी के बाद मायावती ने अपनी ट्विटर लीडर की इमेज को तोड़ने के लिए जनता की बीच जाने का फैसला किया. पार्टी नेताओं का कहना है कि मायावती का बहुजन के द्वार पहुंचने का अभियान अगले माह 15 मार्च के बाद शुरू होगा. इस अभियान के तहत मायावती सबसे पहले वह सभी मंडलीय पदाधिकारियों के साथ बैठक कर संगठन की समीक्षा करेंगी. इसके बाद नगर निकाय चुनाव का ऐलान होने के बाद कुछ पब्लिक मीटिंग संबोधित करने की भी उनकी योजना है.
मायावती के इस अभियान में उनके भतीजे आकाश आनंद भी साथ होंगे. बसपा सुप्रीमो को लगता है कि नगर निकाय चुनाव में उनको जनता की बीच देखकर बहुजन समाज एकजुट होगा, जिसका लाभ लोकसभा चुनाव में बसपा को होगा. लोकसभा चुनावों में पार्टी के वोट बैंक को मजबूत करने के लिए मायावती अपनी चुनावी रणनीति भी बदलेगी. इसके चलते इस बार लोकसभा चुनाव का ऐलान होने के पहले ही मायावती चुनाव प्रचार शुरू करेंगी. मायावती की योजना इस बार हर लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार करने की है. पहले मायावती लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हर मंडल में एक-एक चुनावी सभा करती थीं और ये सभाएं भी मायावती चुनाव का ऐलान हो जाने के बाद करती थीं, लेकिन इस बार इस योजना को वह बदलेंगी.
मायावती मोदी-योगी सरकार की खामियों को उठाएंगी
बसपा नेताओं के अनुसार, बहुजन समाज के लोगों से मिलते हुए और अपनी चुनावी सभाओं में मायावती, मोदी और योगी सरकार की खामियों को उजागर करेंगी. मायावती को लगता है कि बहुजन समाज भी यही चाहता है कि मायावती जुझारू नेता की तरह मोदी और योगी सरकार से मोर्चा लेते हुए दिखें. बहुजन समाज की इस मंशा को पूरा करने के लिए मायावती ने मोदी और योगी सरकार की खामियों को उजागर करना भी शुरू कर दिया है. इसके तहत उन्होंने बीते दिनों मोदी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने ट्वीट किया, “देश में पहले की तरह पिछले 9 वर्षों में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे, जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही, किन्तु वे सब बेमानी हो गए जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण लोअर मिडिल क्लास बन गया, अति-दुखद.”
मोदी-योगी सरकार को निशाने पर ले रहीं
मायावती ने मोदी सरकार के बजट पर भी यह टिप्पणी की कि इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं और भारत के लगभग 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, वंचितों, किसानों आदि अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं, उनके लिए बातें ज्यादा हैं. बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर. योगी सरकार को आड़े हाथों में लेते हुए मायावती ने रायबरेली में दबंगों द्वारा कई दलितों को मार-मार कर अधमरा किए जाने को लेकर योगी सरकार के बेहतर कानून-व्यवस्था के दावे पर सवाल उठाए थे. मायावती के ऐसे ट्वीट को बहुजन समाज के लोग पसंद कर रहे हैं. अब इस सिलसिले को मायावती जारी रखेंगी, ताकि बसपा को फिर से मजबूत किया जा सकेगा.