भाजपा (BJP) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (national executive meeting) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं (party leaders and workers) से कहा कि वे प्रत्येक नागरिक से संपर्क करें और उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश की बढ़ती स्थिति के बारे में बताएं। इस दौरान उनका ध्यान मुस्लिम समुदाय खासकर पसमांदा मुसलमानों पर था। उनकी इस अपील का मुसलमानों पर भी असर पड़ा है। लोगों ने इसके लिए प्रधानमंत्री की सराहना तो की है, लेकिन सलाह भी दी है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश मुसलमानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील की सराहना की है। हालांकि, कई लोगों ने यह भी कहा कि उनके बयानों को व्यवहार में लाने की आवश्यक्ता है। इसके बाद ही उनकी असली प्रशंसा की जाएगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता और कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव अमीर अहमद जाफरी का यह भी कहना है कि पीएम मोदी केवल पसमांदा मुसलमानों के बारे में क्यों बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें सभी मुसलमानों को साथ लेकर चलना चाहिए। उन्होंने कहा, “ठोस काम करना, मुसलमानों को सरकारी योजनाओं का लाभ देना और बीजेपी के साथ-साथ सरकार में भी मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देना उनकी जिम्मेदारी है। सिर्फ भाषण से काम नहीं चलेगा।”
वहीं, इस्लामिक पीस एंड फाउंडेशन डेवलपमेंट के प्रमुख हाजी मोहम्मद इकबाल ने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री मोदी की सकारात्मक पहल का पूरा समर्थन करते हैं। हालांकि, उन्होंने जो कहा है उस पर अमल होगा या नहीं यह वक्त ही बताएगा। सिर्फ बयानबाजी से काम नहीं चलेगा।’
हाईकोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता रुबीना अंजुम ने इसे राजनीतिक नौटंकी करार दिया है। उन्होंने कहा, “अचानक क्या हो गया है कि केवल पसमांदा मुसलमानों की बात हो रही है? मुसलमानों में अन्य वर्ग भी है, जिनकी स्थिति अच्छी नहीं है। संविधान के अनुसार समान व्यवहार होना चाहिए। संविधान के अनुसार एक व्यवस्था और मौलिक अधिकार हैं। बयानों से कुछ होने वाला नहीं है। मोदी के बयान पर विश्वास करने के लिए उसे लागू करना होगा।”
भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के अध्यक्ष सामी अघाई ने कहा कि पीएम मोदी और बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी को अगर मुस्लिम समुदाय के उत्थान की इतनी ही चिंता है तो उन्हें इस पर चर्चा करने के लिए सच्चर कमेटी को लोकसभा में लाना चाहिए या उसी स्तर की योजना बनानी चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। मुस्लिम समुदाय को संगठन और सरकार में जगह देनी चाहिए।” आपको बता दें कि देश में अब तक 400 मुस्लिम सांसद हो चुके हैं, जिनमें से 60 पसमांदा समुदाय से थे।