हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को कहा यहां के भी कुछ इलाकों में जोशीमठ जैसी स्थिति पनप रही है. उन्होंने इस घटना पर चिंता जाहिर की. सीएम सुक्खू ने कहा कि यह घटना पश्चिमी हिमालय में लोगों की जिंदगी और उनकी संपत्ति को तेजी से खतरे में डाल सकती है. दिल्ली में आयोजित भारत मौसम विज्ञान विभाग के 148वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान उन्होंने यह बात कही.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्शकों को संबोधित करते हुए सुक्खू ने कहा, जोशीमठ की तरह हिमाचल प्रदेश में भी कुछ ऐसे इलाके हैं, जो धीरे-धीरे खिसक रहे हैं. हम पर्याप्त तकनीक के साथ इन क्षेत्रों के लिए प्रभावी ढंग से योजना नहीं बना सके.’ इस दौरान उन्होंने केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह से आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हिमाचल प्रदेश आने का अनुरोध किया.
CM सुक्खू ने जितेंद्र सिंह से कहा- प्लीज आप हिमाचल आएं…
मुख्यमंत्री ने जितेंद्र सिंह से कहा, ‘प्लीज आप हिमाचल प्रदेश आइए. हम आपदा से जुड़े मामलों पर आपसे चर्चा करना चाहते हैं. आप पड़ोसी राज्य से हैं और आप हिमाचल प्रदेश की भूगर्भीय स्थितियों को जानते हैं.’ उन्होंने बताया कि किन्नौर और स्पीति के 30 फीसदी इलाके में अक्सर बादल फटते हैं. इन क्षेत्रों को कवर करने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि करीब 2-3 साल पहले किन्नौर में बादल फटा था, जिससे न सिर्फ जान-माल का नुकसान हुआ था, बल्कि जलविद्युत परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंचा था. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए, लेकिन दर्शकों को संबोधित नहीं किया.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधिकारियों ने जोशीमठ में भूवैज्ञानिक जांच पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया क्योंकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सरकारी अधिकारियों और संस्थानों से कहा है कि वे मीडिया से बातचीत न करें और मामले पर सोशल मीडिया पर डेटा साझा न करें.
जोशीमठ में 826 मकानों में दरारें
बता दें कि जोशीमठ दरार वाले मकानों की संख्या रविवार को बढ़कर 826 हो गई है जबकि असुरक्षित क्षेत्र में आने वाले भवनों की संख्या भी बढ़कर 165 हो गई है. रविवार को 17 और परिवारों को अस्थाई राहत शिविरों में लाया गया और अब तक कुल 233 परिवारों के 798 व्यक्तियों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.