बांग्लादेश में अगले साल चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले विपक्षी दलों ने शेख हसीना सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. उग्रवादी संगठन जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमला बोलते हुए मौजूदा सरकार पर निशाना साधा है. दरअसल, जमात-ए-इस्लामी के नुरुल हक नूर पीछे के दरवाजे से विपक्षी पार्टियों का समर्थन कर रहा है और चुनाव में बिना भाग लिए सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कर रहा है.
जमात-ए-इस्लामी के कुछ सहयोगी संगठनों ने हसीना के धर्मनिरपेक्ष रुख के लिए हिंदुओं अल्पसंख्यकों और भारत को लेकर निशाना साधा है. बांग्लादेश गोनो अधिकार परिषद के संयुक्त संयोजक और नुरुल हक नूर के शीर्ष सहयोगी तारिक रहमान ने हिंदुओं के प्रति घृणा फैलाते हुए एक फेसबुक लाइव में कहा, ‘हिंदू धर्म के ग्रंथ कोई नैतिक शिक्षा नहीं देते हैं. सभी धार्मिक ग्रंथ अश्लील हैं.’
पिछले दरवाजे से हासिल करेंगे सत्ता
नेटिजेंस द्वारा इस वीडियो को फेसबुक पर साझा किया गया है. कई लोगों ने इस बयान की तुलना 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के साथ की है. नूर ने खुले तौर पर चुनाव का सामना करने के बजाय पिछले दरवाजे से सत्ता हासिल करने के तरीके पर जोर दिया. नूरू ने कथित तौर पर सऊदी अरब से फेसबुक लाइव का संचालन किया था. जिसमें उसने पत्रकारों को गुलाम बताया था. इस दौरान उसने पत्रकारों को चेतावनी भी दी थी कि वह उसके मिशन को सवाल न पूछे.
बता दें कि शेख हसीना ने कहा था कि उनकी सरकार हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके हित के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि देश में इस साल दुर्गा पूजा पर शांतिपूर्ण समारोहों का आयोजन इसका प्रमाण हैं. 1971 में बांग्लादेश के उदय के साथ ही हिन्दू समुदाय को नफरत की नजर से देखने और उनके साथ मारपीट करने की घटनाएं होने लगी थीं. गौरतलब है कि जमात ए इस्लामी बांग्लादेश का कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन है. वह लगातार अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हमला करते आ रहा है.