बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई के बर्खास्त पुलिस कर्मी रियाजुद्दीन काजी को शुक्रवार को जमानत दे दी। रियाजुद्दीन को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने फरवरी 2021 में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के पास विस्फोटक मिलने और मनसुख हिरन की हत्या मामले में कथित भूमिका को लेकर गिरफ्तार किया था।
दक्षिण मुंबई स्थित एंटीलिया के पास जब जिलेटिन की छड़ों से लदी एक एसयूवी खड़ी मिली थी, उस समय रियाजुद्दीन मुंबई अपराध शाखा की अपराध खुफिया इकाई (सीआईयू) में तैनात थे। वह मामले के एक अन्य आरोपी सचिन वाजे के साथ काम कर चुके हैं।
अधिवक्ता हसनैन काजी के माध्यम से दाखिल जमानत अर्जी में रियाजुद्दीन ने दलील दी कि उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय नहीं किए गए हैं और उन पर लगाए गए आरोप जमानत योग्य हैं।
एनआईए की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि एंटीलिया के पास जिलेटिन की छड़ों से लदी एसयूवी खड़ी किए जाने और मनसुख हिरन की मौत के मामले में रियाजुद्दीन की संलिप्तता के कोई सबूत नहीं मिले हैं। सिंह ने कहा कि रियाजुद्दीन के खिलाफ सीलिंग और पंचनामा जैसी आधिकारिक कार्रवाइयों के बगैर अहम साक्ष्य जुटाने (जिनमें सीसीटीवी की डीवीआर शामिल है) और उन्हें नष्ट करने के सबूत हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने रियाजुद्दीन को जमानत दे दी। हालांकि, फैसले के संबंध में विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं कराया गया है। एंटीलिया के पास विस्फोटक मिलने और मनसुख हिरन की हत्या मामले में रियाजुद्दीन की कथित भूमिका पिछले साल 13 मार्च को वाजे को गिरफ्तार किए जाने के बाद सामने आई थी।
उन पर मामले से जुड़े अहम साक्ष्यों को नष्ट करने का आरोप है। वाजे और रियाजुद्दीन के अलावा मुंबई पुलिस के पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा और विनायक शिंदे व सुनील माणे नाम के पूर्व पुलिस कर्मी भी इस मामले के आरोपियों में शामिल हैं।