पीएनजी और सीएनजी की कीमतें सस्ती होने की उम्मीद है। इससे महंगाई से जूझ रहे आम लोगों को राहत मिलेगी और उनका रसोई गैस का खर्च भी कम हो जाएगा। गैस की कीमतों के अलावा खाद और बिजली के दाम भी घटाए जा सकते हैं। इसके लिए किफायती प्राकृतिक गैस पर प्रस्ताव तैयार हो गया है। इसे जल्द ही संबंधित मंत्रालयों को भेजा जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, प्राकृतिक गैस के दाम घटाने के लिए कैबिनेट की ओर से तैयार प्रस्ताव को तीन-चार दिनों में संबंधित मंत्रालयों को भेजा जा सकता है। यह प्रस्ताव किरीट पारिख समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है। दरअसल, सरकार ने गैस की सस्ती कीमतें तय करने के लिए किरीट पारिख के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी।
समिति ने पिछले महीने ही सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इसमें गैस की कीमतें 4-6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) रखने की सिफारिश की गई है। केंद्र सरकार सीएनजी पर 14 फीसदी उत्पाद शुल्क वसूलती है, जबकि राज्य 24.5 फीसदी वैट लेते हैं।
जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश
समिति ने रिपोर्ट में सीएनजी को जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश की है। कहा, हमारा मत है कि इस मसले पर राज्यों के बीच सहमति बनाने की जरूरत है। इसके लिए राज्यों को राजस्व नुकसान के एवज में पांच साल तक मुआवजे का प्रावधान किया जा सकता है।
गैस खरीद नीति में बदलाव, सब्सिडी बिल घटेगा
सरकार ने खाद कंपनियों के लिए गैस खरीद नीति में बदलाव किया है। इसके तहत कंपनियों को स्थानीय हाजिर बाजार के जरिये अपनी मासिक जरूरतों का करीब पांचवां हिस्सा खरीदने की अनुमति मिल गई है। गैस खरीद नीति में बदलाव से सरकार को सब्सिडी बिल घटाने में मदद मिलेगी।
सरकार ने 2015 के गैस खरीद निर्देशों में संशोधन किया है। इसमें खाद संयंत्रों को गैस जरूरतों का 80% दीर्घकालिक अनुबंधों और बाकी तीन महीने के टेंडर के जरिये खरीदना पड़ता था। टेंडर में कीमत ज्यादा होती थी। दिसंबर तिमाही में टेंडर में अधिकतम कीमत 55 डॉलर रखी गई थी। भारतीय गैस एक्सचेंज व द्विपक्षीय बाजार में कीमत 15-20 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू थी।