मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसकी हिंदू धर्म में काफी मान्यता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि हर महीने दो बार पड़ती है. एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष में. ऐसे में साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं. मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्तपन्ना एकादशी कहा जाता है. इस साल उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर रविवार के दिन है.
एकादशी तिथि प्रारंभ- 19 नवंबर सुबह 10 बजकर 29 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 20 नवंबर सुबह 10 बजकर 41 बजे
पारण- 21 नवंबर सुबह 6 बजकर 40 मिनट से 8 बजकर 47 मिनट के बीच
इस दिन पूजा करने के लिए विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, चंदन और मिठाई चाहिए.
सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें. इसके बाद पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें. जो इंसान व्रत करना चाहे तो कर सकता है. ऐसा करना शुभ माना जाता है. इसके बाद भगवान की आरती करें और उनको भोग लगाएं. भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें.
उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.