हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और गुजरात विधानसभा चुनाव (gujarat assembly election) की तैयारियों के बीच कांग्रेस (Congress) कर्नाटक की ओर भी देख रही है। हालांकि, दक्षिण भारतीय राज्य में 2023 में चुनाव होंगे, लेकिन पार्टी ने अभी से तैयारियों को आकार देती नजर आ रही है। फिलहाल, पार्टी टिकट के जरिए उम्मीदावारों (candidates) की मदद से फंड जुटाने की कोशिश में लगी हुई है। खबरें हैं कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने भी प्रदेश इकाई से प्रत्याशियों के नामों की सूची बनाने के लिए कहा है।
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी यानी KPCC अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने बुधवार को कहा कि उन्हें और अन्य इच्छुक उम्मीदवारों को टिकट के लिए आवेदन करते वक्त 2 लाख रुपये की DD जमा करानी होगी। यह आवेदन 5 नवंबर से 15 नवंबर के बीच दाखिल किए जाने हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा आवेदन का खर्च 5 हजार रुपये अलग होगा। साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को 50 फीसदी की छूट रहेगी।
खबर है कि इसके जरिए जुटाई गई राशि से नए पार्टी भवन का निर्माण होगा। साथ ही राशि का उपयोग विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार में भी किया जाएगा। शिवकुमार ने कहा, ‘मौजूदा विधायकों को भी टिकट के लिए आवेदन करना होगा। मुझे भी आवेदन देना होगा। किसी एक व्यक्ति से ज्यादा जरूरी पार्टी है।’
क्यों जुटाया जा रहा है फंड?
उन्होंने बताया कि रुपयो का इस्तेमाल नए पार्टी भवन के निर्माण, पार्टी फंड, चुनाव अभियान और अन्य खर्चों के लिए किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘हम कोई भी इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं मिल रहे हैं। सब कुछ भाजपा के कब्जे में है।’ शिवकुमार का कहना है कि 6 नवंबर को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के नए अध्यक्ष खड़गे को सम्मानित करने के लिए बड़ी रैली निकाली जाएगी।
2023 के उम्मीदवारों की सूची तैयार करने का काम
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि कांग्रेस ने नवंबर के अंत तक 2023 विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की सूची तैयार करने के लिए कहा है। दिल्ली में बैठकों में शामिल हुए सिद्धारमैया ने बतताया था, ‘जल्द से जल्द स्क्रीनिंग कमेटी बनाने के निर्देश हैं। ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवारों के नाम नवंबर तक शॉर्टलिस्ट किए जाने हैं। उन्होंने नवंबर के अंत तक सभी उम्मीदवारों के नामों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे।’ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खड़गे की नियुक्ति के आसपास हुई इन बैठकों में शिवकुमार शामिल नहीं थे।