श्रावण मास (Shravan Month) की कांवड़ यात्रा (Kanwad Yatra) शिवरात्रि पर (On Shivratri) जलाभिषेक के साथ (With Jalabhishek) संपन्न हो गई (Done) । 13 दिनों तक चली कांवड़ यात्रा के दौरान (During the 13-Day Long Kanwad Yatra) तीन करोड़ 80 लाख 70 हजार कांवड़ियों (3 Crore 80 Lakh 70 Thousand Kanwadiyas) ने गंगाजल उठाया (Picked up Gangajal) । मंगलवार को भी 30 लाख शिवभक्तों ने गंगाजल उठाया और अपने प्रदेशों के लिए रवाना हुए।
13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर्व था। 14 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हुई। बड़ी संख्या में कांवड़िए 13 जुलाई की पूर्व संध्या पर हरिद्वार पहुंचने शुरू हो गए थे। शासन-प्रशासन ने करीब चार करोड़ कांवड़ियों के हरिद्वार पहुंचने की उम्मीद जताई थी। इसी हिसाब से सुविधाएं जुटाई गई थी। हाईवे से लेकर शहर में यातायात प्लान लागू किया गया।यात्रा के अंतिम दिन डीएम विनय शंकर पांडेय और एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने कांवड़ यात्रा सकुशल संपन्न होने पर ड्यूटी करने वाले अधिकारियों और कर्मियों को शाबाशी दी।
पैदल कांवड़ तक दिल्ली-हरिद्वार हाईवे पर यातायात व्यवस्था सामान्य रूप से सुचारु रही, लेकिन 20 जुलाई से डाक कांवडियों का आवागमन शुरू हो गया। 22 जुलाई से हाईवे के दोनों साइड कांवड़ियों का कब्जा रहा। दिन रात कांवड़ चलती रही और डीजे के शोर भी नहीं थमा। डाक कांवड़ के आखिरी तीन दिनों में हर तरफ कांवड़ियों का हुजूम रहा । बैरागी कैंप से लेकर हरकी पैड़ी एवं आसपास के घाटों और संपर्क मार्गों पर कांवड़ ही नजर आये।
वीआईपी घाट पर पूरी तरह कांवड़ियों का कब्जा रहा। मंगलवार को शिवरात्रि के साथ कांवड़ यात्रा सकुशल संपन्न हो गई। इससे प्रशासन और पुलिस ने बड़ी राहत की सांस ली। बुधवार से बाहरी जिलों से मेला ड्यूटी पर आई पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की रवानगी शुरू हो जाएगी।