लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अगले 100 दिनों में 1 लाख 71 हजार हेक्टेयर जमीन को खेती योग्य बनाया जाएगा, जिससे बड़ी संख्या में किसानों (Farmers) को फायदा होगा. इससे खेती के लायक जमीन का क्षेत्रफल बढ़ने की उम्मीद है.
योजना में आएगा इतना खर्च
भूमि सुधार के लिए चलाई जा रही पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के तहत आगामी 100 दिनों में 477 करोड़ रुपये की लागत से 1 लाख 71 हजार हेक्टेयर जमीन को खेती के लायक बनाया जाएगा. वहीं इस योजना में पिछले पांच साल में 1,41,840 हेक्टेयर जमीन उपजाऊ कृषि योग्य जमीन में बदल गई है. इस योजना में लगभग 291 करोड़ रुपये का खर्च आया है.
प्राकृतिक खेती को दिया जाएगा बढ़ावा
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि योजना के तहत, केंद्र द्वारा संवर्धित मिशन प्राकृतिक खेती के अंतर्गत भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना को उत्तर प्रदेश के 35 जिलों में लागू किया जाएगा, जिसके लिए ब्लॉक स्तर पर 500 से 1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्लस्टर का गठन होगा. यह योजना खरीफ 2022 से शुरू की जाएगी और इस पर 82 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
पराली प्रबंधन में यूपी ने किया कैसा काम?
इसके अलावा बुंदेलखंड के सभी जिलों में गौ आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है और मई में राज्य-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. पराली प्रबंधन के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश में उल्लेखनीय काम किया गया है. किसानों को इससे राहत देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए.
पिछले पांच साल में प्रति लाख हेक्टेयर धान क्षेत्रफल में पराली जलाने की औसत घटनाओं की संख्या उत्तर प्रदेश में मात्र 71 और यूपी-एनसीआर क्षेत्र में 132 दर्ज की गईं. इसकी तुलना में पंजाब में यह संख्या 2264 और हरियाणा में 452 थी. राज्य में पराली को गौशालाओं में चारे के रूप में आपूर्ति किए जाने के लिए पराली दो, खाद लो अभियान भी सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है.