केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) पर उत्पादक शुल्क (excise duty) घटा कर आम लोगों को महंगाई से राहत देने की तैयारी कर रही है। पेट्रो पदार्थों के साथ रसोई गैस की कीमत को नियंत्रित करने के लिए सरकार में उच्च स्तर पर माथापच्ची जारी है। खासतौर पर पेट्रोल और डीजल पर उत्पादक शुल्क कम करने को ले कर वित्त मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय (Ministry of Finance and Ministry of Petroleum) के बीच दो दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि सरकार अंतिम निर्णय लेने से पहले अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति को भी भांपना चाहती है।
यह है सरकार की योजना
सरकारी सूत्रों के मुताबिक कवायद पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों के कारण बढ़ी महंगाई से सामान्य लोगों को राहत देने की है। इसके तहत पहला फार्मूला केंद्र की ओर से इस पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कमी करने के साथ राज्यों से भी सहयोग करने की अपील करने की है। जबकि दूसरा फार्मूला इंतजार करने की है। बीते चार-पांच दिनों में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। इसके कारण इनकी कीमतें स्थिर हैं।
दो दौर की बातचीत पूरी
अब तक हुई दो दौर की बातचीत में यह तय करने की कोशिश हो रही है कि उत्पाद शुल्क में कितनी कमी की जाए। गौरतलब है कि बीते साल नवंबर महीने में जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ीं तो सरकार ने पेट्रोल पर पांच रुपये प्रति लीटर और डीजल पर दस रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। इस समय सरकार पेट्रोल पर 27.90 रुपये और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क के रूप में वसूल रही है।
पांच दिन से स्थिर हैं कीमतें
सरकार के इसी कवायद के कारण बीते छह अप्रैल से अब तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। हालांकि 22 मार्च से 6 अप्रैल तक पेट्रोल की कीमतों में औसतन पांच रुपये और डीजल की कीमतों में औसतन 10 रुपये की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। सूत्रों का कहना है कि उत्पाद शुल्क में कमी लाने के लिए अभी एक दौर की बैठक और होगी, इसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा।
व्यावसायिक रसोई गैस पर नहीं मिलेगी राहत
पेट्रोल-डीजल के साथ ही रसोई गैस की कीमतों में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। सरकार की योजना है कि घरेलू इस्तेमाल के लिए रसोई गैस की कीमत को स्थिर रखा जाए, जबकि व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए रसोई गैस मामले में सरकार राहत देने के मूड में नहीं है।