पाकिस्तान, इमरान खान, अविश्वास प्रस्ताव, पाकिस्तान नेशनल असेंबली, पाकिस्तान की राजनीतिक, पाकिस्तान न्यूज़, अस्थिरता को लंबे समय से देखा जा रहा है. पाकिस्तान के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है. इतिहास ने एक बार फिर खुद को दोहराया है. साल 2018 में केंद्र की सत्ता संभालने वाली इमरान खान की पीटीआई पर बीते कुछ दिनों से संकट के बादल छाए थे. जिस कारण पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में हुए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के बाद पीएम इमरान खान अपनी कुर्सी बचाने में नाकाम रहे हैं.
फिलहाल 342 सदस्यों वाली पाकिस्तानी नेशनल असेंबली में सरकार बनाने का बहुमत का आंकड़ा 172 सीटों का है. साल 2018 में इमरान खान की पीटीआई को 155 सीटें मिली थी. वहीं गठबंधन में उन्हें 179 सदस्यों का समर्थन हासिल था. जिसके बाद उनकी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी एमक्यूएम ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर दिया और शनिवार देर रात नेशनल असेंबली में हुए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग ने इतिहास को दोहराते हुए इमरान खान को प्रधानमंत्री की कुर्सी से नीचे उतार दिया.
पाकिस्तान में 18 अगस्त 2018 को 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले इमरान खान अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके हैं. फिलहाल वह पाकिस्तान में अविश्वास मत के जरिए हटाए जाने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने 3 साल से लंबे समय तक अपना पदभार संभाला. पाकिस्तान की आजादी के बाद से चार बार सेना की हुकूमत आई.
चार लोकतांत्रिक सरकारों को सैन्य तख्तापलट से हटा दिया गया.
1950 के अशांत दशक में राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा की ओर से संविधान को निरस्त कर दिया गया था और 1958 में मार्शल लॉ लगाया गया था. 13 साल के मार्शल लॉ के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने. 1973 में विशेष व्यवस्था के तहत संविधान पारित किया गया. इसके बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने.
भुट्टो ने 1977 में चुनाव जीता, सेना प्रमुख ने किया तख्तापलट
जुल्फीकार अली भुट्टो ने 1977 में चुनाव जीता. उन्होंने जनरल जियाउल हक को सेना प्रमुख बनाया. उसी सेना प्रमुख ने 1977 में ही भुट्टो का तख्तापलट कर दिया. 1988 में एक विमान हादसे में जनरल जियाउल हक की मृत्यु हो गई. इसके बाद जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं. हालांकि, इनका भी शासन केवल तीन साल रहा, क्योंकि 1990 में राष्ट्रपति से उनके मतभेद के बाद नेशनल असेंबली को भंग कर दिया गया, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.