हाल ही में 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में दयनीय प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पार्टी गुजरात में 28 साल के सूखे को समाप्त कर राज्य की सत्ता में काबिज होने के लिए संभावने तलाशने में जुटी है और इसके लिए रणनीति बना रही है. सूत्रों की मानें तो गुजरात के लिए कांग्रेस की रणनीति के दो प्रमुख पात्र हैं, इलेक्शन स्ट्रैटिजिस्ट प्रशांत किशोर और इंडस्ट्रियलिस्ट नरेश पटेल. कांग्रेस इस साल के अंत में होने वाला गुजरात विधानसभा चुनाव प्रशांत किशोर की निगरानी में लड़ सकती है.
सूत्रों का कहना है कि उद्योगपति और प्रभावशाली पाटीदार नेता नरेश पटेल को कांग्रेस अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर सकती है. बहुत जल्द नरेश पटेल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. चर्चा तो प्रशांत किशोर के भी कांग्रेस जॉइन करने की है. हालांकि, प्रशांत किशोर से जब इन अटकलों को लेकर पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने ‘फेक न्यूज’ कहकर इसे खारिज कर दिया. लेकिन सब जानते हैं कि राजनीति असीम संभावनाओं से भरी हुई है और बिना आग के धुंआ भी नहीं उठता.
नरेश पटेल एक लेउवा पाटीदार नेता और खोडलधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. यह ट्रस्ट खोडलधाम माता मंदिर का प्रबंधन संभालता है जो लेउवा पटेलों की कुलदेवी हैं. नरेश अपने समाज के लिए बहुत कुछ करते हैं, इसलिए गुजरात के पाटीदारों में उनकी छवि काफी अच्छी है. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि नरेश पटेल ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की है और अप्रैल में राहुल गांधी की गुजरात यात्रा के दौरान वह आधिकारिक रूप से पार्टी में शामिल हो सकते हैं.
नरेश पटेल को गुजरात में कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाया जा सकता है और चुनाव नजदीक आने पर उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जा सकता है. ऐसी अटकलें हैं कि प्रशांत किशोर भी जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि सभी को “शादी का समय बताया जाता है, लड़की को देखने के समय नहीं.”
सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर चाहते हैं कि नरेश पटेल गुजरात में कांग्रेस के अभियान का नेतृत्व करें, जबकि नरेश पटेल भी चाहते हैं कि कांग्रेस का चुनाव अभियान प्रशांत किशोर संभालें. पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी. गुजरात में कांग्रेस के आंतरिक सर्वेक्षण से पता चला है कि उपयुक्त बदलावों के साथ पार्टी फिर भाजपा को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आ सकती है. गुजरात में पाटीदार समुदाय काफी प्रभावशाली है.
साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में पाटीदार आंदोलन का प्रभाव साफ साफ दिखा था. सौराष्ट्र में कांग्रेस ने भाजपा पर बढ़त हालिस की थी. गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए 2017 में हुए चुनाव में भाजपा ने 49 प्रतिशत मतों के साथ 99 सीटें और कांग्रेस ने 41.4 प्रतिशत मतों के साथ 77 सीटें जीतने में कामयाबी पाई थी. हालांकि पिछले साढ़े चार साल में एक दर्जन से ज्यादा विधायक कांग्रेस छोड़ चुके हैं और भाजपा ने पाटीदारों को भी साधने का भरसक प्रयास किया है.