यूक्रेन पर किए गए हमले में अबतक रूस को वह कामयाबी नहीं मिली है, जिसकी उसको उम्मीद थी. कीव पर कब्जे का प्लान अबतक विफल दिख रहा है, जिसके बाद डोनबास इलाके पर पुतिन की सेना ने फोकस किया है. लेकिन यहां भी यूक्रेन की सेना उनको पीछे धकेल रही है. ताजा जानकारी के मुताबिक, यूक्रेन ने दावा किया है कि डोनबास के Donetsk और Luhansk इलाकों (जिनको रूस ने अलग देश घोषित किया था) में सात बार रूसी हमलों को नाकाम करके रूसी फौज को पीछे धकेला गया है. इतना ही नहीं यह भी दावा हुआ है कि पिछले 24 घंटे में यूक्रेनी सेना ने रूस के 3 टैंक, जो सैन्य वाहन और 2 तोपों, ड्रोनों को नष्ट कर दिया है.
यूक्रेन का दावा है कि 31 मार्च तक रूस के करीब 17 हजार सैनिकों को उसने मार गिराया है. इतना ही नहीं 135 प्लेन, 614 टैंक, 311 तोपों को भी नष्ट करने का दावा किया गया है. बता दें कि यूक्रेन में स्थित डोनबास के इलाकों (Donetsk और Luhansk) को रूस पहले ही अलग देश के रूप में मान्यता दे चुका है, लेकिन अभी यहां संघर्ष जारी है. अमेरिका को लगता है कि इससे रूस-यूक्रेन युद्ध और लंबा चल सकता है. पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले कीव को जो रूसी सैनिक का काफिला घेर रहा था, उसमें से कुछ फोर्स को अब डोनबास इलाके के पूर्व में भेजा गया है.
दरअसल, रूस इसके दो इलाकों को अलग देश घोषित तो कर चुका है लेकिन यहां यूक्रेनी सेना उसको कड़ी टक्कर दे रही है, जिससे रूस चौंकन्ना हो गया है. पेंटागन के प्रवर्ता जॉन किर्बी के मुताबिक, कीव को जिन सैनिकों के घेरा हुआ था, उनमें से 20 फीसदी फोर्स को अब डोनबास की तरफ भेज दिया गया है. कीव पर कब्जे की प्लानिंग विफल होना भी इसके पीछे वजह मानी जा रही है. खबरों के मुताबिक, रूसी सेना के सीनियर लीडर Sergei Rudskoi ने भी पिछले दिनों कहा था कि यूक्रेन में शुरू किए गए मिलिट्री कैंपेन का पहला फेज पूरा किया जा चुका है और अब मुख्य फोकस ‘डोनबास की आजादी’ पर होगा.
बता दें कि डोनबास इलाके में छोटा-मोटा गतिरोध पिछले आठ सालों से जारी है. यहां रूस के समर्थन वाले लोग पहले से मौजूद हैं. जिनको दबाने के लिए यूक्रेनी सेना वहां खासी एक्टिव है. बता दें कि 2017 के बाद वहां जंग जैसे हालातों में मरने वाले लोगों की संख्या में कमी आ रही थी. लेकिन 24 फरवरी को पुतिन द्वारा यूक्रेन के खिलाफ शुरू किए गए स्पेशन मिलिट्री ऑपरेशन के बाद स्थिति बदली है. पुतिन ने भले यह ऑपरेशन डोनबास के लोगों की रक्षा के नाम पर शुरू किया था. लेकिन अब वहां इसका प्रतिकूल रूप देखने को मिल रहा है.