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76 साल पहले जब नीला पानी खून से हो गया लाल, सैकड़ों लोगों को जिंदा खा गई थी शार्क, पढ़े खौफनाक हादसे की पूरी कहानी

प्रशांत महासागर का नीला पानी उस वक्त खून से लाल हो गया, जब खतरनाक शार्क मछलियां (Sharks) एक-एक करके सैकड़ों लोगों को जिंदा चबा गईं. तब टाइगर शार्क (Tiger Sharks) और समुद्री व्हाइटटिप शार्क (Oceanic Whitetip Sharks) ने पानी में अब तक दर्ज किए गए मनुष्यों पर सबसे बड़े हमले अंजाम को दिया था. सार्जेंट एडगर हैरेल इस हमले में बच गए थे. उन्होंने इस खौफनाक हादसे को कुछ इस तरह बयां किया है.. दरअसल, ये हादसा हुआ था 1945 में. USS Indianapolis जुलाई 1945 में प्रशांत महासागर में था, जहां इसे टिनियन द्वीप (Tinian Island) पर बने नौसैनिक अड्डे पर परमाणु बम के महत्वपूर्ण सामानों को ले जाने का काम सौंपा गया था. लेकिन 30 जुलाई को रास्ते में, ये जहाज जापानी टॉरपीडो से टकरा गया.

टॉरपीडो से टकराने के बाद USS Indianapolis दो टुकड़ों में बंट गया. यह महज कुछ मिनटों के भीतर समुद्र में डूब गया. इस जहाज पर 1,195 लोग सवार थे. उस घटना को याद करते हुए सार्जेंट एडगर हैरेल कहते हैं कि सैकड़ों लोग पानी में डूब रहे थे, इस बीच ‘समुदी जानवरों’ (शार्क) का हमला हुआ. उन्होंने बताया कि पानी में जिंदा बचे लोगों पर चार दिनों तक फिलीपिंस सागर (Philippine Sea) के बीच में ‘समुदी खूंखार जानवरों’ ने हमला जारी रखा था. साल 2019 में हैरेल ने ‘सन ऑनलाइन’ को बताया, “हम सब सुन रहे थे कि आदमियों को जिंदा चबाया जा रहा था. हर दिन, हर रात.”

हैरेल बताते हैं कि “हम अपने दोस्त को ढूंढते और उसकी जांच करते और पाते कि वह टुकड़ों में अलग हो गया है, या नीचे पानी में चला गया था.” इस शार्क हमले के समय हैरेल 20 वर्ष के थे. इस वर्ष मई में 96 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. यह शार्क हमला इतिहास में सबसे खौफनाक शार्क अटैक के रूप में जाना जाता है. हैरेल ने बताया कि जैसे ही हमारे जहाज पर जापानी टारपीडो का अटैक हुआ, जहाज टूटकर डूबने लगा. बकौल हैरेल, “मैं रात के अंधेरे में जहाज की रेलिंग पर लटक गया. बचने की कोई तरकीब नहीं नजर आ रही थी. जहज तेजी से डूब रहा था. मैं जहाज से दूर तैरकर दूसरे नौसैनिकों के एक समूह की ओर गया जो पहले ही मौके से निकल गए थे. उनमें से एक ने मेरी बाहों में दम तोड़ दिया. टारपीडो के अटैक से कई लोग तुरंत ही मारे गए कुछ पानी में कूदकर जान बचाने लगे.”

हालांकि, हैरेल और उनके साथी भले ही जापानी टारपीडो अटैक से बच गए थे, लेकिन समुद्र में एक और बड़ा खतरा उनका इंतजार कर रहा था. सैकड़ों की संख्या में तैरते लोगों पर अचानक से शार्क का हमला हुआ. किसी का पैर गायब हो गया तो किसी का हाथ. समुद्र का नीला पानी लाल हो रहा था. और जैसे ही लोगों का खून पानी में फैल गया, शार्क जो तीन मील दूर तक खून को सूंघ सकती है, ने जबरदस्त हमला किया. पानी में जिंदगी के लिए जंग करीब चार दिन तक चली. लोगों के पास ना तो भोजन था ना शुद्ध पीने का पानी. ऊपर से दिन में कड़ाके की धूप और रात में भीषण ठंड. हैरेल ने इन कठिन हालातों का जिक्र सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं.