फिल्म 72 हूरें का टीजर जारी कर दिया गया है, इस फिल्म में दर्शकों को देखने को मिलेगा कि एक आतंकवादी के दिमाग में क्या चल रहा होता है? और उसे कैसे ट्रेनिंग दिया जाता है?
आखिर क्यों है आतंकवाद विश्व के लिए एक बड़ी समस्या
जैसा कि आप सभी को पता है कि पूरे विश्व में आतंकवाद एक बहुत बड़ी समस्या है। भारत में चाहे 26/11 का हमला हो या 11 जुलाई को ट्रेन में हुए बम धमाके हों। आतंकवाद सभी की के लिए बड़ी चिंता का विषय हैं लेकिन इन सभी बातों के साथ यह बात भी दिमाग में आता है कि आतंकवादी कौन बनता है? या कैसे बनाए जाते हैं? वो कौन सी जगह से आते हैं? इन सभी सवालों का जवाब आपको इस फिल्म से मिलने वाली है।
आकिर क्या है 72 हूरों का कांसेप्ट
एक साधारण व्यक्ति के दिमाग में ऐसा जहर बोया जाता है, उनको दिमागी रूप से ऐसा तैयार किया जाता है जो बेगुनाह लोगों को मारने से पहले सोचते बिल्कुल भी नहीं हैं और बता दें ये सब धर्म और जिहाद के नाम पर किया जाता है। कई बार आतंकवादियों को 72 हूरों के कांसेप्ट के माध्यम से भी ब्रेनवाश किया जाता है। कई आतंकवादी इस चक्कर में भी इस ट्रैप में फंस जाते हैं उन्हें लगता है कि मौत के बाद उन्हें व्यक्तिगत रूप से 72 हूरें मिलने वाली हैं।
क्या 72 हूरें का टीजर कहा देख सकते है?
क्या 72 हूरों का कांसेप्ट वाकई सच है या ऐसा सिर्फ जिहाद फैलाने के लिए किया जाता है। मौत के बाद अगर आत्मा यूं ही भटकती रही तो 72 हूरें कैसे मिलेंगी? इन सभी विषयों पर चर्चा करने के लिए इसी नाम से बनी फिल्म का टीजर जारी कर दिया गया है। इसमें इस बात का रियलिटी चेक किया गया है कि सुसाइड बॉम्बर ब्रेनवाशिंग का प्रोडक्ट होते हैं। उन्हें धर्म और विश्वास के नाम पर आतंकवादी बनाया जाता है।
दो बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं। संजय पूरन सिंह चौहान ने इस बारे में कहा है कि दिमाग में धीरे-धीरे जहर बोया जाता है। इसके माध्यम से एक साधारण इंसान को सुसाइड बॉम्बर बनाया जाता है। आपको इस बात पर भी विश्वास करना चाहिए कि आतंकवादी कई बार अपने परिवारों के साथ इसमें कूद पड़ते हैं। उन्हें 72 हूरों का लालच दिया जाता है। इसके बाद वे विनाश की राह पर चल पड़ते हैं। आतंकवाद से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय पर बात करनी आवश्यक थी।
इस फिल्म का निर्माण गुलाब सिंह तंवर कर रहे हैं, उन्होंने कहा है कि इस प्रोजेक्ट को हाथ में लेना किसी कमजोर दिल वाले व्यक्ति का काम नहीं था। इसमें हम दिखाएंगे कि कैसे धर्म के नाम पर आम जनता को मारा जाता है। यह सही समय है सच बताने का।
वहीं फिल्म के सह-निर्माता अशोक पंडित ने कहा कि इस फिल्म के माध्यम से आपको समाज में व्याप्त आतंकवादी सोच पर एक नया विश्लेषण देखने को मिलेगा। इससे पता चलेगा कि कैसे ब्रेनवाश कर लोगों को आतंकवादी बनाया जाता है और जिहाद के नाम पर बेगुनाह लोगों को मारा जाता है।