भारत में आज से हाई स्पीड इंटरनेट के युग की शुरुआत हो गई. दिल्ली के प्रगित मैदान में आयोजित इंडियन मोबाइल कांग्रेस 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जी सर्विस की शुरुआत कर दी. पीएम मोदी ने रिमोट का बदन दबाकर भारत में 5G इंटनरेट सेवाओं का आगाज कर दिया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि यह समिट तो ग्लोबल है, मगर आवाज लोकल है. इतना ही नहीं, आगाज भी लोकल है. आज 21वीं सदी के विकसित होते भारत के सामर्थ्य और उसके प्रदर्शन का एक विशेष दिवस है.
पीएम मोदी ने कहा कि 1 अक्टूबर 2022 इतिहास में दर्ज होने वाली है. आज भारतवासियों को 5जी के तौर पर शानदार उपहार मिल रहा है. 5जी देश के द्वारा पर नए दौर की दस्तक लेकर आया है. 5जी अवसरों के अनंत आकाश की शुरुआत है. मैं प्रत्येक भारतवासी को इसके लिए बधाई देता हूं. मुझे खुशी है कि 5जी के शुरुआत में ग्रामीण स्कूल के बच्चे, गांव और मजदूर भी सहभागी हैं.
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि जब मैं 2012 के चुनाव में हॉलोग्राम लेकर चुनाव प्रचार कर रहा था, तो उस वक्त दुनिया के लिए अजूबा था, आज घर-घर पहुंच रहा है. नया भारत अब केवल टेक्नोलॉजी का कंज्यूमर बनकर नहीं रहेगा, बल्कि भारत उस टेक्नोलॉजी के विकास, इंप्लीमेंटेशन में बहुत एक्टिव भूमिका निभाएगा. भविष्य की वायरलेस टेक्नोलॉजी को डिजाइन करने, उससे जुड़ी मैनुफैक्चरिंग में भारत की बड़ी भूमिका होती है. 2 जी, 3जी और 4 जी के समय भारत तकनीक के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा. मगर 5जी के साथ भारत ने नया इतिहास रच दिया है. 5जी के साथ भारत ने पहली बार टेलिकॉम टेक्नोलॉजी में ग्लोबल स्टैंडर्ड तय कर रहा है, भारत लीड कर रहा है. आज इंटरनेट का यूज करने वाला हर व्यक्ति इस बात को समझ रहा है कि 5जी इंटरनेट का पूरा आर्किटेक्चर बदल कर रख देगा. इसलिए भारत के युवाओं के लिए आज 5जी बहुत बड़ा अवसर लेकर आया है.
उन्होंने आगे कहा कि मुझे खुशी है कि विकसित भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा हमारा देश दुनिया के अन्य देशों के साथ इस तरह कदम से कदम मिलाकर चल रहा है. यह भारत की बहुत बड़ी सफलता है. डिजिटल इंडिया अभियान की सफलता है. जब हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं तो कुछ लोग समझते हैं कि यह केवल एक सरकारी योजना है, लेकिन डिजिटल इंडिया एक केवल नाम नहीं है, देश के विकास का बहुत बड़ा विजन है. इस विजन का लक्ष्य उस टेक्नोलॉजी को आम लोगों तक पहुंचाना है, जो लोगों के लिए काम करे और लोगों के साथ जुड़कर काम करे. मुझे याद जब मोबाइल सेक्टर से जुड़े इस विजन के लिए रणनीति बनाई जा रही थी, तब मैंने कहा था कि हमारी अप्रोच टूकड़े-टूकड़े में नहीं होनी चाहिए, बल्कि होलेस्टिक होनी चाहिए. डिजिटल इंडिया की सफलता के लिए जरूरी था वो इस सेक्टर के सभी आयामों को एक साथ कवर करे. इसलिए हमने चार पिलर्स पर और चार दिशाओं में एक साथ फोकस किया. पहला- डिवाइस की कीमत, दूसरा- डिजिटल कनेक्टिविटी, तीसरा-डेटा की कीमत और चौथा- डिजिटल फर्स्ट की सोच.
उन्होंने आगे कहा कि जब हम पहले पिलर की बात करते हैं डिवाइस की कीमत की बात करते हैं तो एक बात स्पष्ट है कि डिवाइस की कीमत तभी कम हो सकती है, जब हम आत्मनिर्भर हो. आपको याद होगा कि बहुत से लोगों ने आत्मनिर्भर की मेरी बात का मजाक उड़ाया था. 2014 तक हम करीब 100 फीसदी मोबाइल फोन आयात करते थे. इसलिए हमने तय किया कि हम क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेंगे. हमने मोबाइल मैनुफैक्चरिंग यूनिट को बढ़ाया. 2014 में जहां देश में 2 मोबाइल मैनुफैक्चरिंग यूनिट थे, अब उनकी संख्या 200 के ऊपर है. हमने भारत में मोबाइल फोन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए इंसेंटिव दिए, प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा दिया और आज इसी योजना का विस्तार पीएलआई स्कीम में देख रहे हैं. इन प्रयासों का नतीजा बहुत पॉजिटिव रहा. आज भारत मोबाइल फोन के उत्पादन में दुनिया में नंबर 2 पर है.
‘पहले हम मोबाइल फोन आयात करते थे, अब निर्यात करते हैं’
पीएम मोदी ने कहा कि इतना ही नहीं, कल तक जो मोबाइल में आयात करते थे, आज हम दुनिया को भेज रहे हैं. 2014 में जीरो मोबाइल फोन निर्यात करने से लेकर हजारों करोड़ रुपये के मोबाइल फोन निर्यात करने वाले देश बन गए हैं. इन सारे प्रयासों का प्रभाव डिवाइस की कम कीमत पड़ा है. अब कम कीमत पर हमें ज्यादा फीचर भी मिलने लगे हैं. डिवाइस कॉस्ट के बाद जो दूसरे पिलर पर काम किया, वह है डिजिटल कनेक्टिविटी. आप भी जानते हैं कि कम्युनिकेश सेक्टर की असली ताकत डिजिटल कनेक्टिविटी है. जितने ज्यादा लोग कनेक्ट होंगे, इस सेक्टर के लिए उतना अच्छा है. अगर हम ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की बात करें तो 2014 में 6 करोड़ यूजर्स थे, आज इनकी संख्या 80 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है. अगर हम इंटरनेट कनेक्शन की बात करें तो 2014 में जहां 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे, वहीं आज इसकी संख्या करीब 85 करोड़ पहुंच गई है. यह बात भी नोट करने वाली है कि आज शहरों में इंटरनेट यूजर के मुकाबले हमारे ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
‘हमारी सरकार इंटरनेट फॉर ऑल के लक्ष्य पर काम कर रही’
उन्होंने आगे कहा कि इसकी एक खास वजह है कि 2014 में जहां देश में 100 से भी कम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंचा था, आज 1 लाख 70 हजार से ज्यादा पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंच चुका है. जैसे सरकार ने घर-घर बिजली पहुंचाने की मुहिम शुरू की, जैसे हर घर जल अभियान के जरिए हर किसी तक साफ पानी पहुंचाने के मिशन पर काम किया, जैसे उज्ज्वला योजना के जरिए हर घर तक गैस सिलेंडर पहुंचाया, जैसे हर आदमी का खाता खुलवाया, वैसे ही हमारी सरकार इंटरनेट फॉर ऑल के लक्ष्य पर काम कर रही है. डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ने के साथ ही डेटा की कीमत भी उतनी अहम हो जाती है. यह डिजिटल इंडिया का तीसरा पिलर था, जिस पर हमने पूरी शक्ति के साथ काम किया. हमने टेलिकॉम सेक्टर के रास्ते में आने वाली सभी अड़चनों को हटाया. पहले विजन की कमी और पारदर्शिता के अभाव में इस सेक्टर को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. आपको पता है कि कैसे हमने 4जी के विस्तार के लिए पॉलिसी सपोर्ट दिया, इससे डेटा की कीमत में कमी आई और देश में डेटा क्रांति का जन्म हुआ. देखते ही देखते इसका असर चारों तरफ दिखने लगा. लेकिन इसके साथ एक और अहम काम हुआ. इसके साथ देश में डिजिटल फर्स्ट की सोच विकसित हुई.
‘पहले 1GB डेटा की कीमत लगभग 300 रुपये थी, 10 रुपये प्रति GB हो गई’
विपक्ष पर तंज कसते हुए पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था, जब बड़े-बड़े लोग और उसके मुट्ठी भर लोग, मजाक उड़ाते थे, उनको लगता था कि गरीब लोगों में क्षमता ही नहीं है, ये डिजिटल को समझ ही नहीं सकते. उन्हें शक था कि गरीब लोग डिजिटल का मतलब भी नहीं समझ पाएंगे, मगर मुझे देश के सामान्य मानविकी की समझ पर, उसके विवेक पर और जिज्ञासू मन पर हमेशा भरोसा था. मैंने देखा है भारत का गरीब से गरीब व्यक्ति भी नई तकनीक को अपनाने में आगे रहता है. पीएम मोदी ने कहा कि पहले 1GB डेटा की कीमत लगभग 300 रुपये थी, जो अब घटकर 10 रुपये प्रति GB हो गई है. औसतन, भारत में एक व्यक्ति प्रति माह 14GB की खपत करता है. इसकी लागत 2014 में लगभग 4200 रुपये प्रति माह होती थी, लेकिन अब यह लागत 125-150 रुपये है. यह हमारी सरकार के प्रयासों के कारण हुआ है.