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40 घंटे तक चला कुत्ते के लिए बचाव आभियान, क्लिक कर जानिए अनोखे रेस्क्यू की पूरी कहानी

मुंबई के वडाला इलाके में 40 घंटे चले बचाव अभियान (rescue operation) के बाद आखिरकार एक खुले मेनहोल में गिरे कुत्ते को बचा लिया गया। मुंबई में बारिश के दौरान अक्सर खुले मेनहोल में लोगों के गिरने से मौत की खबरें आती हैं, लेकिन गुरुवार सुबह गिरे इस श्वान को कड़ी मशक्कत के बाद शुक्रवार शाम को निकाल लिया गया। महानगर की पशु प्रेमी नीता शेट्टी ने श्रमिकों(workers) की मदद से इस काम को अंजाम दिया।

मुंबई की फायर ब्रिगेड (fire brigade) की टीम ड्रेनेज के पाइप में फंसे कुत्ते को निकालने में घुटने टेक चुकी थी, क्योंकि गुरुवार सुबह सूचना मिलने के बाद वह मौके पर पहुंची, पांच-छह घंटे कोशिश की, लेकिन वह कुत्ते को निकालने में विफल रही। इसके बाद वडाला ट्रक टर्मिनल पुलिस, पशु प्रेमी नीता शेट्टी (animal lover neeta shetty) की टीम व कुछ श्रमिकों ने ड्रेनेज लाइन की खुदाई शुरू कराई और लोहे का पाइप काटकर उसमें फंसे श्वान को 40 घंटे बाद निकाल लिया गया।

यह घटना वडाला(Wadala) के न्यू कफ परेड गेट नंबर 3 के पास हुई। देशी नस्ल के कुत्तों को बचाने के जुटे मुंबई के एनजीओ ‘होप फॉर इंडीज’ की नीता शेट्टी ने सबसे पहले इस श्वान के लापता होने का संज्ञान लिया। शेट्टी सड़क पर घूमने वाले कुत्तों को नियमित रूप से खाना खिलाती हैं, इसलिए उनकी इस श्वान पर भी नजर थी। इसके बाद उन्होंने अपनी टीम को सक्रिय किया तो पता चला कि वह क्षेत्र में चल रहे सड़क निर्माण कार्य के दौरान खुले छोड़ दिए गए मेनहोल में गिर गया है।

यह कुत्ता मेनहोल में सात आठ फीट गहराई में लगाई गईं लोहे की छड़ों में फंस गया था। समीप ही चल रहे एक निर्माण कार्य के गार्ड ने बताया कि उसने उसके गिरने व चिल्लाने की आवाज सुनकर उसे निकालने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा था। वह गुरुवार सुबह करीब 7 बजे गिरा था। गार्ड ने बताया कि जब वह उसे नहीं निकाल सका तो उसने आसपास के लोगों को बताया। उन्हीं लोगों में से किसी ने पशु प्रेमी नीता शेट्टी को खबर की।

 

इसके बाद शेट्टी व उनकी टीम के सदस्य मौके पर पहुंचे। पुलिस व क्षेत्र में कार्य कर रहे निर्माण श्रमिकों को एकजुट किया गया। खुदाई के संसाधन जुटाए गए। आखिरकार करीब 40 घंटे की मशक्कत के बाद श्वान को निकाल लिया गया। इसके बाद सड़क पर घूमने वाले कुत्तों की देखभाल करने वाले एक अन्य एनजीओ को इसे सौंप दिया गया, ताकि उसका उपचार व टीकाकरण किया जा सके। मरहम पट्टी व टीकाकरण के बाद उसे क्षेत्र में छोड़ दिया गया।