हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवी तिथि को अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इसी के साथ भाद्रपद माह की अमावस्या 27 अगस्त, दिन शनिवार को पड़ रही है। जी दरअसल भादों की अमावस्या पिठोरी कुशोत्पाटिनी अमावस्या के नाम से जानी जाती है। वहीं हिन्दू धर्म में अमावस्या का अत्यधिक महत्व होता है। कहा जाता है अमावस्या तिथि को स्नान-दान, पूजा पाठ पितृ तर्पण आदि के लिए अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। अब हम आपको बताते हैं भाद्रपद अमावस्या के सबसे अधिक महत्व के बारे में।
भाद्रपद अमावस्या 2022 महत्व-
– भाद्रपद अमावस्या के दिन स्नान दान से व्यक्ति को न सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है।
– भाद्रपद अमावस्या के दिन पितरों की पूजा से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से घर में हमेशा सुख शांति बनी रहती है। कहा जाता है इस दिन सुबह साढ़े ग्यारह (11:30am) बजे से श्राद्ध कर्म, पिंडदान आदि करना शुभ माना गया है।
– भाद्रपद अमावस्या को स्नान के बाद पितरों को काले तिल, अक्षत् फूल से तर्पण देना चाहिए। कहते हैं इससे पितृ तृप्त हो जाते हैं और इसी के साथ उनके आशीष स्वरूप घर में कोई भी व्यक्ति बीमारी की चपेट में नहीं आता।
– आपको बता दें कि इस साल भाद्रपद अमावस्या के दिन शनिवार पड़ रहा है। ऐसे में यह शनि अमावस्या भी कहलाएगी। तो अगर इस दिन काली उड़द, काला तिल, सरसों के तेल आदि का दान किया जाए तो शनि दोष से मुक्ति मिल जाती है।
– ऐसा माना जाता है कि कालसर्प दोष पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या का दिन बेहद प्रभावशाली होता है। जी हाँ और ऐसे में अगर भाद्रपद अमावस्या के दिन कुछ उपाय किये जाएं तो आसानी से इन दोषों से छुटकारा पाया जा सकता है।