भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त की तलाश जोर शोर से प्रारम्भ होगई है। वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा दो माह बाद 13 अप्रेल को इस पद से सेवानिवृत्त हो रहे है। राजस्थान कैडर के रिटायर आईएएस सुनील अरोड़ा 13 अप्रेल को 65 वर्ष के हो जाएंगे। चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष अथवा 65 वर्ष होता है। इस पद को हथियाने के लिए प्रशासनिक तथा विभिन्न सेवा के अनेक लोग लाइन में लगे हुए है । यह पद किस को यह मिलेगा, कहा नही जा सकता है । ऐसी उम्मीद है कि वर्तमान चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया जा सकता है। चंद्रा प्रधानमंत्री मोदी के काफी निकट है। इसके अलावा गुजरात कैडर के अनेक सेवानिवृत अफसरों को भी प्रबल दावेदार माना जा रहा है। वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का सवाल है, उन्होंने सभी पारी में बेखौफ छक्के लगाए। कुशल प्रशासक के रूप में विख्यात अरोड़ा ने साल 1993-1998 तक राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व भैरों सिंह शेखावत के सचिव के रूप में कार्य किया था। बाद में प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए और साल 1999-2002 तक इन्होने सिविल एविएशन के संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया। जब वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तब अरोड़ा उनके प्रमुख शासन सचिव बन गये ।
साल 2009 में अरोड़ा रीको के अध्यक्ष और एमडी बन गए तथा सन 2014-2015 तक केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री के सचिव पद पर नियुक्त होगय। करीब एक साल तक इन्होने सूचना और प्रसारण मंत्री के सचिव के रूप में काम किया । सन 2017 में अरोड़ा का चुनाव आयुक्त के रूप मे चयन हुआ और एक साल बाद ये मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किये गए। अरोड़ा बहुत ही पढ़ी-लिखी फैमिली से ताल्लुक रखते है । इनके पिता नसीब चन्द अरोड़ा भारतीय रेलवे अकॉउंट अफसर थे और माता पुष्पलता डीएवी कॉलेज, होशियारपुर में इंग्लिश की प्रोफेसर थी । अरोड़ा के दो भाई भी है । एक भाई संजीव अरोड़ा हरियाणा कैडर के आईएएस और दूसरे भाई राजीव अरोड़ा भारतीय विदेश सेवा में राजनयिक है। आईएएस बनने से पहले सुनील अरोड़ा डीएवी कॉलेज, जालंधर में प्रोफेसर थे । इनके चाचा आरसी अरोड़ा भी इसी कॉलेज में हिस्ट्री के प्रोफेसर हुआ करते थे।
सुनील अरोड़ा ने भारत और राजस्थान सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है । एयर इंडिया के एमडी पद पर किये गए कार्य को आज भी याद किया जाता है । इन्होंने राजस्थान में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), प्रमुख सचिव (निवेश और प्रोटोकॉल), कलेक्टर नागौर, जोधपुर, अलवर और धौलपुर जिलों के कलेक्टर तथा जन सम्पर्क विभाग के निदेशक के रूप में कार्य किया है । साथ ही प्रसारण सचिव, चेयरपर्सन और इंडियन एयरलाइंस के प्रबंध निदेशक आदि के रूप में भी इन्होंने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । ये 30 अप्रैल 2016 को आईएएस पद से रिटायर होगये थे । रिटायरमेंट के बाद अरोड़ा को मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कॉरपोरेट मामलों के महानिदेशक के रूप में नियुक्त कर लिया गया था ।
राजनीति से अरोड़ा का दूर दूर तक ताल्लुक नही रहा है । जब ये स्पेशल सेक्रेटरी जीएडी के पद पर तैनात थे तब पूर्व मुख्य सचिव गोविंदजी मिश्रा ने अरोड़ा को बुलाकर कहाकि तुम्हे मुख्यमंत्री के सचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है । मिश्रा की बात सुनकर इनके चेहरे पर घबराहट के कारण पसीना आगया । मिश्राजी ने कहाकि “सुनील तुमको बदला जा रहा है । तुम्हारी कोई चॉइस है तो बताओ ।” अरोड़ा का कहना था कि जब बदला ही जा रहा है तो मुझे पर्यटन विभाग भेज दो । लेकिन जब मुख्य सचिव ने इन्हें मुख्यमंत्री के सचिव पद पर नियुक्त करने की जानकारी दी तो हालत पतली होगई ।
मुख्य सचिव के चैम्बर से लौटने के बाद पूरा वाकया अरोड़ा ने मुझे सुनाया था । अपने चैम्बर में मुझे रुकने की कहकर वे मुख्य सचिव के पास गए थे । मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने सब अफसरों की गोपनीय रिपोर्ट देखने के बाद अरोड़ा का अपने सचिव पद पर चयन किया था । जब अरोड़ा अलवर कलेक्टर पद पर तैनात थे तब भैरोसिंह शेखावत ने ही इन्हें हटाने की मांग की थी । अलवर के मसारी गांव में एक हरिजन दूल्हे को घोड़ी पर नहीं चढ़ने को लेकर कठूमर से कांग्रेसी विधायक बाबूलाल बैरवा ने विधानसभा में यह मामला उठाया था । विपक्ष के नेता भैरोसिंह शेखावत ने हस्तक्षेप करते हुए सुनील अरोड़ा और पुलिस अधीक्षक मनोज भट्ट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की थी । जब मैंने शेखावत को बताया कि यह पूरा वाकया आधारहीन है ।
इस पर उन्होंने अलवर के पूर्व विधायक जीतमल जैन से पूरी जानकारी प्राप्त की । जैन ने भी मसारी कांड को मनगढ़ंत बताया और कहाकि कलेक्टर तथा एसपी ने अपने कर्तव्यों का ईमानदारी व मेहनत से पालना की है । चूंकि विधानसभा में मामला बहुत जोर से उठा था, इसलिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को अरोड़ा व भट्ट के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा करनी पड़ी । आखिरकार भैरोसिंह शेखावत ने उस वक्त गृह मंत्री अशोक गहलोत को पूरा किस्सा बताया । गहलोत, शेखावत, तत्कालीन विधायक पुष्पा जैन और मैं मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के विधानसभा स्थित चैम्बर में गए । अरोड़ा और भट्ट के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नही करने के लिए मुख्यमंत्री मान गए । लेकिन अरोड़ा का बिजली बोर्ड में सचिव तथा भट्ट को निदेशक (विजिलेंस) के पद पर तबादला कर दिया । बाद अरोड़ा का स्थानांतरण आदेश निरस्त कर उन्हें भेड़ व ऊन विभाग का निदेशक बना दिया ।