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हिमाचल प्रदेश के इस मंदिर में कोई नहीं जाना चाहता, यंहा लोग दूर से ही करते हैं देवता को प्रणाम

दुनिया का एक परम सत्य ये है कि जिसने भी जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी निश्चित है। सदियों से ऐसा माना जाता है कि जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तब उसकी आत्मा को लेने के लिए स्वयं यमराज धरती पर आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यमराज आत्मा को स्वर्ग या नर्क में भेजने से पहले उसको धरती पर मौजूद एक मंदिर में ले जाते हैं और पहले इस मंदिर में व्यक्ति के पाप और पुण्यों का हिसाब होता है और उसके बाद ही व्यक्ति को यमराज अपने साथ के जाते हैं। तो आइए जानते हैं कि कौन सा है वो मदिर और कहां पर स्थित है।

मंगलवार, 29 अक्टूबर को दीपोत्सव का अंतिम दिन भाई दूज है। मान्यता है कि इस तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आते हैं। इसी वजह से भाई दूज पर यमराज की विशेष पूजा की जाती है। यंहा कर्मों को विधाता लिखते हैं, चित्रगुप्त बांचते हैं, मृत्यु के बाद यमदूत मनुष्य की आत्मा को पकड़कर लाते हैं और यमराज दंड देते हैं। यमराज के कोप से बचने के लिए भाई दूज पर यमराज के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

यमराज का प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में भरमौर नामक जगह पर स्थित है। ये मंदिर एक घर की तरह दिखाता है। यह मंदिर देखने में तो काफी छोटा है, लेकिन इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। कहा जाता है कि लोग इस मंदिर के अंदर जाने की गलती कभी नहीं करते हैं। वो बाहर से ही भगवान की प्रार्थना करके निकल जाते हैं। दरअसल, यह मंदिर मृत्यु के देवता यमराज का है। यही वजह है कि लोग इस मंदिर के पास जाने से भी डरते हैं।

यंहा चित्रगुप्त करते है कर्मो का लेखा-जोखा

यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो यमराज को समर्पित है। लोगों का कहना है कि इस मंदिर को यमराज के लिए ही बनाया गया है, इसलिए इसके अंदर उनके अलावा और कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है। गांव के लोगों का कहना है कि इस मंदिर में चित्रगुप्त के लिए भी एक कमरा बनाया गया है, जिसमें वो इंसानों के अच्छे-बुरे कामों का लेखा-जोखा एक किताब में रखते हैं। दरअसल, मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात, पृथ्वी पर उनके द्वारा किए गये कार्यों के आधार पर उनके लिए स्वर्ग या नर्क का निर्णय लेने का अधिकार चित्रगुप्त के ही पास है।

यानी किस मनुष्य को स्वर्ग मिलेगा और कौन नर्क में जाएगा, इसका फैसला चित्रगुप्त ही करते हैं। यह मंदिर देखने में एक घर की तरह दिखाई देता है, जहां एक खाली कमरा मौजूद है। मान्यता है इस कमरे में ही भगवान यमराज विराजमान हैं। यहां पर एक और कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कक्ष कहा जाता है।

यमराज की कचहरी

मंदिर से मान्यता जुड़ी है कि जब किसी की मृत्यु होती है, तब यमराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को पकड़कर सबसे पहले इस मंदिर में चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत करते हैं। चित्रगुप्त आत्मा को उसके कर्मों के बारे में बताते हैं। इसके बाद चित्रगुप्त के सामने वाले कमरे में आत्मा को ले जाया जाता है। इस कमरे को यमराज की कचहरी कहा जाता है। यहां पर यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं।

कहा जाता है कि इस मंदिर के अंदर चार छिपे हुए दरवाजे हैं जो कि सोने, चांदी, तांबे और लोहे के बने हुए हैं। माना जाता है कि जो लोग ज्यादा पाप करते हैं, उनकी आत्मा लोहे के गेट से अंदर जाती है और जिसने पुण्य किया हो, उसकी आत्मा सोने के गेट के अंदर जाती है। गरुड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार का उल्लेख मिलता है।

लोक मान्यताएं

यह मंदिर देश की राजधानी से 500 किलोमीटर दूर हिमाचल के चम्बा जिले में भरमौर नामक स्थान पर स्थित है जिसे लेकर सदियों से कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के अंदर कोई भी घुसने का प्रयास नहीं करता है और ज्यादातर लोग इस मंदिर से दूर रहने में ही भलाई समझते हैं और दूर से ही इसके दर्शन करते हैं।