हाथरस/अलीगढ़। चंदपा क्षेत्र में बिटिया के गांव में शनिवार को जब सुरक्षाबलों का पहरा खत्म हुआ तो पत्रकारों को बिटिया और आरोपियों के घर वालों से बात करने का मौका मिला। दो दिनों से यहां पर एसआईटी की गहन जांच का हवाला देकर मीडिया सहित सभी बाहरी लोगों का प्रवेश बंद था। इगलास से आई बिटिया की बुआ ने बताया कि लॉकडाउन के चलते बिटिया के रिश्ते की बात नहीं हो पा रही थी। घर में तैयारी थी कि जल्द ही अच्छा रिश्ता देखकर उसके हाथ पीले कर दिए जाएं, लेकिन इससे पहले ही यह घटना हो गई।
बिटिया के घर के बगल की एक गली को छोड़कर आरोपी पक्ष के घर में भी रामू के पिता राकेश ने बताया कि खेतीबाड़ी से पूरे घर परिवार का गुजारा नहीं होता है, इसलिए कुछ बच्चे बाहर भी काम करते हैं। घटना के दिन जो बच्चे घर से बाहर थे, उनको भी नामजद करा दिया गया है।
उनका बेटा रामू उस वक्त चंदपा में दूध के प्लांट पर ड्यूटी पर था। रवि भी दुकान पर था। उन दोनों का नाम भी मुकदमे में लिखा दिया गया। दोनों शादीशुदा हैं। रामू की शादी नौ वर्ष पहले हो चुकी है और उसके दो बच्चे हैं। रवि की शादी करीब 14 वर्ष पहले हो चुकी है और उसके तीन बच्चे हैं। संदीप और लवकुश के लिए भी रिश्तेदारी में बात शुरू हो चुकी थी। शादी करने की तैयारी होने लगी थी कि अच्छा रिश्ता मिले तो ब्याह कर दिया जाए, लेकिन इससे पहले ही ये घटना हो गई। लवकुश तो घटना के दिन पीड़िता के परिजनों को पानी देने चला गया था तो उसको भी फंसा दिया गया। पूरा परिवार 19 दिन से परेशान है। खाना पीना दूभर है। बच्चे जेल चले गए। उनसे मिलने तक नहीं दिया गया है। जहां घर में शादियों की बात हो रही थी, वहां अब बच्चों को बचाने के लिए जुटे हैं।
गौरतलब है कि बिटिया के घर में करीब चार बीघा तो आरोपियों के परिवार में करीब 55 बीघा खेती है, जिसमें आलू और बाजरा मुख्य फसल होती है। हालांकि दोनों लोगों के आलू 500 रुपये पैकेट के हिसाब से बिके थे, लेकिन शादी के लिए कुछ पैसा बचाया गया था, जो कि अब थाने, कचहरी और जेल के चक्कर लगाने में लग रहा है। शादी ब्याह के लिए जुटाया गया धन अब मुकदमे में खर्च होगा।