भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। इस तनाव के बीच चीन बॉर्डर के बीच अपनी सक्रियता बढ़ाने से बाज नहीं आ रहा है। आपको बता दे की बीते शुक्रवार को तवांग सेक्टर के यांग्त्से में भारत और चीन सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस हिंसक झड़प में कुछ भारतीय सैनिकों को चोटें लगने की भी खबर आई है। इसे लेकर देश की विपक्ष, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर लगातार हमला करने में लगी है।
विपक्ष की मांग प्रधानमंत्री को देनी चाहिए सफाई
विपक्ष के इस ताबड़तोड़ हमले के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस हिंसक झड़प पर अपनी चुप्पी तोड़ी। साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने भी देश को आश्वस्त हुए कहा कि, “जब तक नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में है तब तक कोई भारत की एक इंच ज़मीन तक पर कब्जा नहीं कर सकता।” इसके बावजूद विपक्ष के नेता मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सामने आकर इस पर सफाई देनी चाहिए, जबकि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा होनी चाहिए।
पहले भी चीन कर चूका है ऐसा हमला
अगर भारत और चीन के बीच विवादों पर नजर डालें तो पिछले कुछ सालों से चीन ने लगातार भारतीय सीमा में घुसकर झड़प की है। हाल के झड़प को अगर छोड़ भी दिया जाये तो चीन ने इससे पहले 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान में हिंसक झड़प किया था , जिसमे 20 भारतीय जवानों वीरगति को प्राप्त हुए थे। वहीं 18 जून 2017 को डोकलाम में विवाद हुआ था, जिस कारण सीमाओं पर करीब ढाई महीने तक तनाव का माहौल रहा था। दूसरी तरफ इस ताजा हमले के बाद चीन पूर्वी लद्दाख सीमा के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण कर अपनी तैनाती और अधिक बढ़ा दी है।
चीन का यह हरकत गली की गुंडागर्दी
दूसरी तरफ पूर्व आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने चीन के इस हरकत को गली का गुंडागर्दी बताया। जनरल नरवणे ने कहा कि, “चीन की सेना खुद को 21वीं सदी की सबसे स्मार्ट और प्रोफेशनल मिलिट्री समझती है, लेकिन उनकी हरकतें हुड़दंगी और स्ट्रीट फाइटिंग से ज्यादा नहीं लगतीं।” उन्होंने आगे कहा कि चीन हर साल हमारी सिमा में घुसता है पर उसे हमेसा शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है।