उत्तराखंड के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कारण टनकपुर-तवाघाट हाईवे पर कनालीछीना से ओगला के मध्य खिरचिना नामक स्थान से चार किमी की चढ़ाई पर स्थित डीडीहाट ब्लॉक का अनजान गांव हड़खोला सुर्खियों में आ गया है। ग्राम पंचायत तोली चुफात का हड़खोला गांव अपने लाल के प्रदेश का मुखिया बनने से गदगद है। लेकिन अफसोस की बात मुख्यमंत्री के गांव तक पहुंचने के लिए अब भी चार किमी की चढ़ाई चढऩी पड़ती है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी का मूल गांव हड़खोला तोली चुफात का राजस्व गांव है। चारों तरफ हरियाली से आच्छादित यह गांव हाईवे से चार किमी की दूरी पर है। गांव पहुंचने के लिए चार किमी की खड़ी चढ़ाई पार करनी होती है । खिरचिना पुल के पास से बने अश्व मार्ग से ही उनके गांव तक पहुंचा जाता है। तोली चुफात के लिए बंदरलीमा के निकट से हाईवे से संपर्क करता एक मार्ग बना है, परंतु यह मार्ग अभी भी पूरा नहीं हो सका है। डीडीहाट विधानसभा क्षेत्र में पड़नेने वाले हड़खोला गांव शनिवार से सभी की जुबान पर है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी का मूल गांव हड़खोला है। बाद में उनके पिताजी कनालीछीना के छडऩदेव के टुंडी गांव में भी रहने लगे थे। जहां पर उनका मकान है, लेकिन बाद में उनका परिवार खटीमा चला गया। पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनते ही हड़खोला और टुंडी दोनों गांव चर्चा में आ गए हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पुष्कर सिंह धामी का जन्म टुंडी में हुआ।
कुलदेवता की पूजा को हर साल पैतृक गांव जाते हैं धामी
धामी की अपने कुलदेवता पर अगाध श्रद्धा है। हर साल वह कुलदेवता की पूजा के लिए वह गांव पहुंचते हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी के जिले में ही दो पुश्तैनी गांव हैं। विकास खंड डीडीहाट का तोलीचुफात का हड़खोला गांव उनका मूल पुश्तैनी गांव हैं। हड़खोला से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित विकास खंड कनालीछीना के छडऩदेव क्षेत्र का टुंडी गांव उनका जन्म स्थान है। उनके कुलदेवता हरसैम का मंदिर हड़खोला में है। वह हड़खोला और टुंडी दोनों स्थानों पर स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।
गांव से धामी परिवार का गहरा जुड़ाव
सीएम के रिश्तेदार ग्राम प्रधान गुड्डू धामी कहते हैं कि इस माह के अंत या फिर अगस्त माह में वह पूजा के लिए गांव आने वाले थे। अप्रैल 2019 में वह पूजा के लिए आए थे। गांव के सबसे वयोवृद्ध व मंदिर के पुजारी 90 वर्षीय आन सिंह धामी पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने से गदगद हैं। वह कहते हैं कि अपने ईष्ट देवता पर अगाध श्रद्धा से उनकी लगातार प्रगति होगी। चाचा जगत सिंह और चाची आनंदी देवी का कहना है कि भले ही उनका परिवार खटीमा चला गया हो, परंतु वह गांव से बहुत लगाव रखते हैं। पुष्कर को प्रदेश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी मिली है। उम्मीद है कि वह अपने पुश्तैनी क्षेत्र का भी विकास करेंगे।