इस बार सावन (Sawan) 59 दिनों का होगा। श्रद्धालु आठ सोमवार को भगवान शिव (Lord Shiva) का व्रत कर जलार्पण करेंगे। दरअसल नया विक्रम संवत (Vikram era) 2080 ‘नल’ 12 की जगह 13 माह का होगा। ऐसा इस नूतन हिंदू नव वर्ष मास और दिवस की अधिकता मलमास (Malmas) के चलते होगी। कालगणना के अनुसार प्रत्येक तीसरे वर्ष ऐसी स्थिति बनती है।
ज्योतिषी के अनुसार इस साल सावन माह चार जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त का चलेगा। कुल मिलाकर सावन के माह 59 दिन के होंगे। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहेगा। इसके मलमास व पुरुषोत्तम माह भी कहा जाता है। दरअसल वैदिक पंचांग की गणना सौरमास और चंद्रमास के आधार पर होती है। एक चंद्रमास 354 दिनों का जबकि एक सौरमास 365 दिनों का होता है। इस तरह से इन दोनों में 11 दिन का अंतर आ जाता है और तीसरे वर्ष 33 दिनों का अतिरिक्त एक माह बन जाता है। इस 33 दिनों के समायोजन को ही अधिकमास कहा जाता है। उन्होंने बताया कि 2023 में अधिकमास के दिनों का समायोजन सावन के माह में होगा। इस कारण से सावन दो माह का होगा।
उन्होंने बताया कि सावन में आठ सोमवार होंगे। इस साल रक्षाबंधन 31 अगस्त को पड़ेगा। जो आमतौर पर 10 से 15 अगस्त के बीच पड़ता है। इसके साथ चातुर्मास पांच माह का होगा। भगवान विष्णु पांच माह तक योगनिद्रा में रहेंगे। इस दौरान गृह प्रवेश, मुंडन,विवाह, जनेऊ संस्कार आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
10 जुलाई को पहला तो 28 अगस्त को अंतिम सोमवार
उन्होंने बताया कि सावन का पहला सोमवार 10 जनवरी को होगा। जबकि अंतिम सोमवारी 28 अगस्त को पड़ेगा। दूसरा सोमवार 17 जुलाई, तीसरा सोमवार 24 जुलाई, चौथा सोमवार 31 जुलाई, पांचवा सोमवारी सात अगस्त, छठा सोमवार 14 अगस्त, सातवां सोमवारी 21 अगस्त व अंतिम आठवां सोमवार 28 अगस्त को होगा।
मणिकांचन योग में सावन
जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि सावन माह मणिकांचन योग में मनेगा। मालमास में सावन पड़ना काफी दुर्लभ माना जाता है। उन्होंने बताया कि 30 सितंबर से लेकर 14 अक्टूबर तक पितृपक्ष होगा। महालया की शुरुआत 30 सितंबर को हो रहा है। सावन में श्रद्धालु चार जुलाई से कांवर उठायेंगे। मलमास में रक्षाबंधन और मधुश्रावणी पर्व भी है।