Thursday , September 19 2024
Breaking News

सहारनपुर : देवर्षि नारद विश्व के पहले पत्रकार :- पद्मश्री भारत भूषण

रिपोर्ट :- गौरव सिंघल, विशेष संवाददाता,दैनिक संवाद, सहारनपुर मंडल,उप्र:।।
सहारनपुर (दैनिक संवाद न्यूज)। पत्रकारिता दिवस पर सोशल मीडिया संवाद में एक ज़माने में सक्रिय पत्रकार रहे योग गुरु स्वामी भारत भूषण ने कहा कि १८२६ में पंडित युगल किशोर शुक्ल द्वारा उदंत मार्तंड के  प्रकाशन से हिंदी पत्रकारिता का शुभारंभ याद किया जाना प्रेरक है लेकिन बात इतनी ही नहीं है। श्रुति और स्मृति के उस युग में जब अखबार तो नहीं थे (जैसे इस युग में भी अब वह धीरे धीरे विलुप्ति की ओर हैं) लेकिन विश्व के पहले पत्रकार देवर्षि नारद जी हैं जिनकी रिपोर्टिंग की पैठ इहलोक से देवलोक और परलोक तक रही!
उनकी सबसे बड़ी विशेषता कथन व घटनाओं की पारदर्शिता के साथ साथ हित चिंतन से अपनी रिपोर्टिंग को कल्याणकारी दिशा देना रही। आज व्यवसायीकरण की दौड़ में दिनोदिन टूटते पत्रकारिता के जीवन मूल्यों के युग में पत्रकारिता के समाज को क्रांतिकारी हितकर दिशा देने वाले उन उच्च मानकों की पुनर्स्थापना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि कलमकार अब उच्च जीवन मूल्यों के रक्षक योद्धा न रहकर निहित स्वार्थ पूर्ति के  लिए इन्हे नष्ट करने वाले कुचक्रों का हिस्सा बनने में देर ही नहीं लगाते बल्कि और सत्य व हित की रक्षक कलम की धार को भी कुंद कर बैठते हैं। इसके विपरीत यह भी सत्य है कि दुरभि संधियों और उच्च जीवन मूल्यों से समझौतों के इस युग में भी उत्कृष्ट जुझारू पत्रकारिता के पैनेपन  के सामने सभी लोग नतमस्तक होते हैं।
पत्रकारिता दिवस केवल पत्रकारिता के शुभारंभ को याद करने का दिन नही बल्कि पत्रकारिता से उत्कृष्ट जीवन मूल्यों की रक्षा और सर्वकल्याणार्थ निर्भीक व सत्यनिष्ठ पत्रकारिता की ओर लौटने के संकल्प दिवस के रूप में मनाए जाने की जरूरत है। १९७० से करीब दो दशकों तक सक्रिय पत्रकार और प्रेस क्लब के अध्यक्ष और वर्तमान में भी भारत सरकार के इंटरनेशनल मीडिया अवार्ड कमेटी की ज्यूरी रहे योग गुरु स्वामी भारत भूषण ने गर्व से इस ओर ध्यानाकर्षण किया कि आज भी खुद किसी मजबूरी में श्रेष्ठ पत्रकारिता के आदर्शों से समझौता करके जीने वाले पत्रकार बंधु भी खरी, निडर और राष्ट्रीय व मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि रखकर पत्रकारिता करने वाले जुझारू लोगों को सिर्फ पसंद ही नहीं करते बल्कि उनका हृदय से सम्मान भी करते हैं, सच्ची पत्रकारिता की खनक का इससे सुंदर उदाहरण नहीं हो सकता। उन्होंने देश, संस्कृति और समाज के विकास में पत्रकारिता की भूमिका को सराहा।