चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति को बदलने के लिए “सलामी-स्लाइसिंग” तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। इसमें वह आक्रामक एक्शन्स के जरिए दूसरे दावेदारों का टेस्ट लेता है, फिर प्रतिरोध का सामना करने पर पीछे हट जाता है। चीन ने “सलामी स्लाइसिंग” तकनीक के तहत नेपाल और भूटान के सीमावर्ती इलाकों में कस्बों का विस्तार भी किया है।
क्या है सलामी स्लाइसिंग?
सलामी स्लाइसिंग का मतलब पड़ोसी देश के खिलाफ छोटे-छोटे सैन्य ऑपरेशन चलाकर किसी बड़े इलाके पर कब्जा कर लेना है। इस तरह के ऑपरेशन इतने छोटे स्तर पर किए जाते हैं कि इनसे युद्ध की आशंका नहीं रहती है, लेकिन पड़ोसी देश को यह समझ नहीं आता कि इसका जवाब कैसे दिया जाए। और अगर जबाव दें भी तो किस स्तर तक एक्शन लें।
‘भूमि सीमा कानून (LBL)’ के आने से हालत तेजी से बदले
दरअसल, भारत जैसे अपने पड़ोसियों के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन ने अक्टूबर, 2021 में ‘भूमि सीमा कानून (LBL)’ को अपनाया, जो 1 जनवरी, 2022 को लागू हुआ। नीति अनुसंधान समूह (POREG) ने बताया कि यह कानून काफी मुखर और उत्तेजक लगता है। इसके माध्यम से चीन ने दावा किया है कि वह अपनी संप्रभुता और सीमा की दृढ़ता से रक्षा करेगा।
LBL ‘सिविल-मिलिट्री इंटीग्रेशन (CMI)’ रणनीति को मजबूत करता है। साथ ही यह विदेश मंत्रालय, सार्वजनिक सुरक्षा, सीमा शुल्क और आप्रवासन प्रशासन व स्थानीय सरकारों सहित प्रमुख चीनी नौकरशाहों के बीच तालमेल पैदा करता है। यह कानून जोर देता है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और अर्धसैनिक पीपुल्स आर्म्ड पुलिस (PAP) केंद्रीय सैन्य आयोग की कमान के तहत केंद्रीय भूमिका निभाएंगे। इसमें भूमि सीमाओं की सुरक्षा, सशस्त्र आक्रमण का विरोध करना और त्वरित जवाब देना शामिल है।
CMI की रणनीति को लेकर भारत को रहना होगा सजग
POREG के अनुसार, यह कहने की जरूरत नहीं है कि भूमि और सीमा रक्षा में CMI की रणनीति का भारत पर उल्टा असर हो सकता है। उदाहरण के लिए, चीनी सेना भारत की ओर से अपनी सीमा के साथ बुनियादी ढांचे के विकास को रोक सकती है। इसके अलावा, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बती खानाबदोशों को सीमावर्ती जिलों के गांवों में भी धकेल रही है। शिगात्से और ल्होका जैसे प्रमुख सीमावर्ती प्रांतों को ‘तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र (TAR)’ में चीनी जोन में बदल रही है।
तिब्बत के सीमावर्ती इलाके में लोगों को बसाने का प्रयास
चीनी ‘नागरिकों’ को ‘आदर्श गांवों’ की ओर ले जाने पर लगाम लगाने का प्रोपेगेंडा भी चलाया जा रहा है। मॉडल जियाओकांग बीडीवी के एक ग्रामीण ने ‘तिब्बत डेली’ के लेख में दावा किया कि उसे 8,871 युआन की पारिस्थितिक सब्सिडी के अलावा 5,000 युआन की ‘सीमा वार्षिक सब्सिडी’ भी दी गई। लेख से पता चला है कि तिब्बत बीडीवी स्किम के तहत लगभग 240,000 लोगों को रहने के लिए 62,000 से अधिक घरों का निर्माण करने की योजना है। इन घरों में सड़क के अलावा पानी, बिजली, संचार, नेटवर्क, स्कूल, स्वास्थ्य और बीमा की व्यवस्था होगी।
सेना और स्थानीय लोगों में अच्छे तालमेल का दावा
रिपोर्ट में शिगात्से प्रान्त के गेरू गांव में सीमा पर गश्त और जीवन के बारे में भी बताया गया है, जिसे स्थानीय निवासियों के साथ “मछली और पानी जितना गहरा” बताया गया है। यह दिखाया गया कि गांव के लगभग 100 लोगों ने सीमा रक्षा बलों की सहायता के लिए मोटरसाइकिल पर नियमित रूप से सीमा पर गश्त करते हैं। साथ ही गेरू में तैनात चीनी कर्मी हर सोमवार को चीनी ध्वज फहराने और राष्ट्रगान गाने के लिए बॉर्डर पिलर पर समारोह आयोजित करते हैं।
LAC के पास स्थानीय निवासियों को शोषण का डर
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन तिब्बत पर अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए CMI की रणनीति का उपयोग करने के अलावा, LAC के पार अपनी बस्तियों का विस्तार करने के लिए स्थानीय निवासियों का शोषण कर सकता है। उन्हें खानाबदोश कवर के तहत बसने वालों के रूप में विस्थापित करेगा, ताकि इन पर सैन्य गतिविधियों के रूप में किसी का ध्यान न जाए। CMI रणनीति का इस्तेमाल LBL के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। PLA “सलामी-स्लाइसिंग” तकनीक से बीजिंग के क्षेत्रीय दावों को पुष्ट करना चाहता है। यह सीमावर्ती गांवों के जरिए LAC की यथास्थिति को बदलने का एक प्रयास है।